ईश्वर पुत्र अरुण
श्रीमद्देवी भागवतम, स्कन्द - १ अध्याय - १ - 3, शीर्षक "28 व्यास का नाम " पेज नं ० 25 के अनुसार 28 बार सत्ययुग, 28 बार त्रेता, 28 बार द्वापर युग बीत चुका है। प्रत्येक द्वापर में वेद व्यास जी अपने नए नाम से अवतार लेकर आते हैं और वेद को चार भागों में बाँट देते हैं। चुकि अब 28 वां द्वापर बीत चुका है इसलिए 28 बार वेद व्यास जी अपने नए नाम से अवतार लेकर आये और 28 बार वेद को चार भागों में बाँट चुके हैं । वेद व्यास जी का 28 नाम खुल्लम - खुल्ला श्रीमद्देवी भागवतम, स्कन्द - १ अध्याय - १ - ३, शीर्षक "28 व्यास का नाम " पेज नं ० 25 में लिखा हुआ है।
स्कन्द पुराण, माहेश्वरी खंड - कुमारिका खंड, शीर्षक "महा काल द्वारा करंधम के प्रश्नानुसार श्राद्ध युग व्यवस्था का वर्णन " पेज नं ० 129 में यह वयान किया गया है कि २७ बार कलियुग बीत चुका है और अब 28वां कलियुग चल रहा है। 28 वां कलियुग में जो - जो होने वाला है उसको सुनो। अर्थात कलियुग के 432000वर्ष में से 427000 वर्ष बीत गए और शेष 50000 वर्ष बीतेंगे। 5000 वर्ष में जो घटनाएँ बीतेंगे उसको सुनो। कलियुग के शेष 5000 वर्ष में से जब 3290 वर्ष बीत जायेंगे तब शूद्रक नाम वाला राजा होगा। कलियुग के शेष 5000 वर्ष में से जब 3310 वर्ष बीत जायेंगे तब नन्द वंश का राज्य होगा। चाण्यक नाम वाला ब्राह्मण उस नन्द वंशियों का संहार करेगा। कलियुग के शेष 5000 वर्ष में से जब 3020 वर्ष बीत जायेंगे तब राजा विक्रमादित्य का राज्य होगा। कलियुग के शेष 5000 वर्ष में से जब 3100 वर्ष बीत जायेंगे तब शक नामक राजा होगा। कलियुग के शेष 5000 वर्ष में से जब 3600 वर्ष बीत जायेंगे तब भगवन बुद्ध प्रकट होंगे। कलियुग के शेष 5000 वर्ष में से जब 4400 वर्ष बीत जायेंगे तब चन्द्र वंश में राजा प्रमिति का प्रादुर्भाव होगा। तत्पश्चात काल के प्रभाव से जब प्रजा अत्यंत पीड़ित होने लगेगी, तब भयंकर प्रजा अधर्म का आश्रय लेकर शठतापूर्ण वर्ताव करेगी। कोई बंधन न रहने के कारण सब लोग लोभ से व्याप्त हो झुण्ड के झुण्ड मिलकर एक दुसरे को लूटेंगे और मारेंगे। तब अंत में सम्पूर्ण जगत के स्वामी साक्षात भगवन विष्णु संभल ग्राम में श्री विष्णु यश के पुत्र होकर अवतीर्ण होंगे।
28 वां कलियुग में घटने वाली उपरोक्त वर्णित सभी घटनाएँ 5000 वर्ष के दौरान बीत चुके हैं और स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कल्कि जी ने भी अवतार ले लिया है।
28 वां कलियुग में घटने वाली उपरोक्त वर्णित सभी घटनाएँ 5000 वर्ष के दौरान बीत चुके हैं और स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान कल्कि जी ने भी अवतार ले लिया है।
कल्कि पुराण, प्रथम अंश, अध्याय - २, श्लोक - 15 यह कहता है कि "बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान विष्णु ने पृथवी पर अवतार लिया। "
कल्कि कम्स इन 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय में यह भविष्यवाणी किया गया है कि बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मथुरा उत्तर प्रदेश में श्रेष्ठ ब्राह्मण विष्णु यश के घर भगवान कल्कि अवतार ग्रहण करेंगे।
विष्णु पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुर्थ खंड, अध्याय - 3 के श्लोक 27 - 28, पेज नं 331 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर देवताओं से कहा - देवगणों ! देवताओं के हित एवं दैत्यों के विनाश के लिए मैं कलियुग में उत्पन्न होउँगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृंदावन में रहस्यमय एकांत क्रीड़ा करूंगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमण्डल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा से प्रार्थित मैं इस रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा।
विष्णु पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुर्थ खंड, अध्याय - 3 के श्लोक 27 - 28, पेज नं 331 में यह भविष्यवाणी किया गया है कि भगवान विष्णु प्रसन्न होकर देवताओं से कहा - देवगणों ! देवताओं के हित एवं दैत्यों के विनाश के लिए मैं कलियुग में उत्पन्न होउँगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृंदावन में रहस्यमय एकांत क्रीड़ा करूंगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमण्डल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा से प्रार्थित मैं इस रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा।
श्रीमद्देवी भागवतम तथा स्कन्द पुराण के अनुसार कलियुग के ४२७००० वर्ष बीत गए और कलियुग के अन्तिम चरण में भगवान कल्कि जी अवतार लिए। कल्कि पुराण, प्रथम अंश, अध्याय - २, श्लोक - १५ तथा कल्कि कम्स इन 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय के अनुसार बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मथुरा उत्तर प्रदेश में श्रेष्ठ ब्राह्मण विष्णु यश के घर 1985 में भगवान कल्कि जी अवतार ग्रहण किये और 1985 में बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी 2 May को था। अर्थात भगवान कल्कि 2 May 1985 को अवतार ग्रहण किये। कल्कि कम्स इन 1985 पुस्तक के तृतीय अध्याय तथा विष्णु पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुर्थ खंड, अध्याय - ३ के श्लोक २७ - २८, पेज नं ३३१ के अनुसार मथुरा - वृन्दावन के बोर्डर पर जो स्थान है वही संभल ग्राम है जहाँ भगवान कल्कि जी अवतार ग्रहण किये।
परमेश्वर ने कहा कि ऊँचे स्वर में गा और आनन्द कर क्योंकि देख मैं आकर तेरे बीच निवास करूंगा। (धर्मशास्त्र, जकर्याह २:१० ) स्कन्द पुराण पेज नं १०३८ यह कहता है कि भगवान पापियों एवं दुष्टों को संहार कर जिस भवन में विश्राम करेंगे उस भवन का नाम नारायणा गृह होगा। अगस्त ऋषि ने अगस्त संहिता में उस स्थान को अभय धाम कहा तथा बाईबल ने उस स्थान को न्यू हैवन और नया यरूसलेम कहा।
श्रीमद भागवतम महा पुराण १२;२:२४ , विष्णु पुराण, चतुर्थ अंश, २४:१०२ पेज नं ३०२ तथा महाभारत, वन पर्व शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार " पेज नं ३११ यह कहता है कि कलियुग का ४३२००० वर्ष भी बीत चुका है तथा सत्य युग का शुरुआत भी हो चुका है क्योंकि "जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में स्थित होकर एक राशि पर एक साथ आवेंगे उसी समय सत्य युग आरम्भ हो जाएगा।" ज्योतिष गणना के अनुसार २६ जुलाई २०१४ को दोपहर ३ :११ पर यह समय उपस्थित हो चुका है। अतः कलियुग समाप्त हो चुका है और सत्य युग का शुरुआत भी हो चुका है तथा कलियुग का ४३२००० वर्ष भी बीत चुका है।