आध्यात्मिक जीवन में आप किस प्रकार प्रवेश करेंगे ?

हे परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास करने वाले लोगों ! जो परमेश्वर के साथ मेल कर लेता है, उसको हमेशा सुख की प्राप्ति होती है और जिसके हृदय में  परमेश्वर बसता  है वह जीवित ही मुक्ति को प्राप्त कर लेता है।  परमेश्वर के शरणागत को कोई भी कष्ट नहीं होता है, उसको ताती हवा तक नहीं लगती, उसकी कृपा से दुःख नष्ट हो जाते हैं, रोग दूर हो जाते हैं और तृष्णा की अग्नि बुझ जाती है।
आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करना बहुत ही सरल है, लेकिन इसके लिए कुछ आवश्यक बातें भी जानना जरूरी है कि उस व्यक्ति का रहन  - सहन और मन का सोच कैसा हो जो आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करना चाहते हैं । इसका वर्णन निम्न प्रकार है :-
(१) परमेश्वर पर भरोसा करना मनुष्य पर भरोसा करने से  ज्यादा उत्तम है। (धर्मशास्त्र, भजन संहिता ११८:८ )
(२ ) वह व्यक्ति श्रापित है जो मनुष्य पर भरोसा  करता है।  (धर्मशास्त्र, यिर्मियाह १७:५)
(३) आप अपने समझ  का सहारा नहीं लेना बल्कि सम्पूर्ण मन से परमेश्वर पर भरोसा रखना।   (धर्मशास्त्र, नीतिवचन ३:५)
(४) आप प्रधानों पर भरोसा नहीं रखेंगे और न किसी आदमी पर क्योंकि उसमें उद्धार करने की शक्ति नहीं है।   (धर्मशास्त्र, भजन संहिता १४६ :३)
(५) आप परमेश्वर और परमेश्वर के सामर्थ्य की खोजी बनिए और  परमेश्वर के दर्शन के लगातार खोजी बने रहिए।  (धर्मशास्त्र, भजन संहिता १०५:४)
(६) परमेश्वर मनुष्य नहीं कि वह झूठ बोले और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले। क्या उसने जो कहा उसको पूरा नहीं किया ? क्या वह वचन देकर उसको पूरा नहीं किया ?  (धर्मशास्त्र, गिनती २३ : १९)
(७) जो मनुष्य परमेश्वर की इच्छा पर चलता है केवल वही आपका भाई है, बहन है और माता -  पिता  है। (धर्मशास्त्र, मरकुस ३ : ३५)
(८) प्रति दिन सुबह, दोपहर और शाम कुल तीन घंटे नियम पूर्वक परमेश्वर की सेवा, स्मरण और ध्यान करो तो परमेश्वर पाप करने से रोकेंगे तथा आपकी रक्षा  भी करेंगे ऐसा जान कर नित्य कर्म करें।  (श्रीमदभागवद रहस्य)
(९ ) परमेश्वर ने कहा कि तुम तीन घंटे मेरे लिए खर्च करो तो मैं इक्कीस घंटे तुम्हारी निगरानी करूंगा। (श्रीमदभागवद रहस्य)
(१०) वृद्धावस्था में भजन - ध्यान करने वाले को अगला जन्म सुधरता है किन्तु जो बाल्यावस्था से ही  भजन - ध्यान करता है उसे तो इसी जन्म में परमेश्वर की प्राप्ति हो जाती है। (श्रीमदभागवद रहस्य)
(११) शरीर से परमेश्वर की सेवा करने से तमो गुण घटता है,  परमेश्वर की सेवा करने में धन लगाने से रजोगुण कम होता है और मन को परमेश्वर में लगाने से या मन को  परमेश्वर की सेवा में लगाने से सत्व  गुण घटता है। जो मनुष्य परमेश्वर का दर्शन करना चाहता है या जो मनुष्य मुक्ति प्राप्त करना चाहता है वो परमेश्वर में अपना तन - मन और धन तीनों लगा दे। अर्थात परमेश्वर की सेवा शरीर से, धन से और मन से करे।  (श्रीमदभागवद रहस्य)
अब आप स्वयं से पूछिए कि ये मन ! तुम आध्यात्मिक जीवन में किस प्रकार प्रवेश करोगे ? क्या आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश करना सरल है ?

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