ईश्वर ने मनुष्य को संकट एवं परेशानियों में डालने के लिए नहीं रचा। उसने संसार में अनेक चीजों को रचा और उनको बरतने के लिए मनुष्य के आधीन कर दिया ताकि मनुष्य आराम से रहे। जैसे ही ईश्वर ने देखा कि मनुष्य को दुख , परेशानियों एवं आँशुओं की वादियों से होकर गुजरना पर रहा है वैसे ही उसने अपने आपको मनुष्य रूप में रचकर नए नाम से धरती पर आया। वे आपको परेशानी एवं आंशुओं में सने नहीं देख सकते। वे आपको आनंद एवं शान्ति देने के लिए बुला रहे हैं। वे जानते हैं कि आज आपके जीवन में कर्ज अशांति परेशानी वीमारी गरीबी इत्यादि भयंकर विषैला कोबरा साँप बनकर डस रहा है और आपके जीवन में भय उतपन्न कर दिया है। इसलिए ईश्वर ने मनुष्य से प्रतिज्ञा किया कि संसार में दुख तो तुम्हारे पास आएंगे लेकिन वह तुमको छुएगा नहीं। लेकिन इसके लिए मनुष्य भगवान कल्कि के नाम का जप एवं संकीर्तन करे। ईश्वर ने स्वयं कहा कि यदि तुम मुझसे मेरे नाम में कुछ मांगो तो मैं वही दूंगा। क्या तुम जानते हो कि ईश्वर ने ऐसा क्यों कहा ? किसी भी परिस्थिति में तुम स्थित क्यों न हो तुम मांगो तो मैं तुझको आनंदित करूँगा। क्योंकि जैसे संसार देता है मैं तुमको उस रीति से नहीं दूंगा । तुम्हारा मन न घबराये और तुम न डरो । ईश्वर तुमको क्या विशेषाधिकार देते हैं जिससे तुमको आनंद व शान्ति मिलेगा ? इसका कारण निम्नलिखित है :-
(१) कलियुग में ईश्वर का नाम आपको उद्धार करदेगा(२) जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से मांगोगे तुमको मिलेगा। (धर्मशास्त्र , मत्ती २१:२२)
(३) जो कोई माँगता है , उसे मिलता है, जो कोई ढूंढता है वह पाता है। (धर्मशास्त्र , मत्ती ७ :७-८ )
(4) ईश्वर में विश्वाश और अनन्य प्रेम ईश्वर के हृदय को स्पर्श करता है जिससे ईश्वर का हृदय पिघल जाता है। यही कारण है कि ईश्वर आशीष की बरसात करने लगते हैं।
जब आपके आंशू ईश्वर के पैर को स्पर्श करेंगे तब वे आपको कभी भी इग्नोर नहीं करेंगे। आपके आँशू कभी भी वर्वाद नहीं होंगे। ईश्वर ने आपके आँशुओं को संभालकर रखा है। वे आपके आँशुओं को बोतल में बंद कर रखे हैं। वे आपके आँशुओं को एक -एक करके गिने हैं। वे आपके आँशुओं को आशीष में बदल देंगे। जहाँ पर आपने आँशुओं को बहाया है उस स्थान पर आशीष की बरसात करेंगे। इतना याद रखें कि ईश्वर के प्रार्थना में आपका १००% विश्वास और १००% प्रेम आपके जीवन में ईश्वर के आशीष का बरसात लादेगा।