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18 December बहुत ही शुभ माना जाता है :
कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया। 18 दिन तक ही युद्ध चला। गीता में भी 18 अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।
अंक 18 बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि यह पूरी तरह प्रयासों पर निर्भर करता है क्योंकि काम को अधूरा नहीं छोड़ना ही आपकी सबसे बड़ी खूबी होती है और यही आपकी सफलता की सीधी भी बनती है। ईमानदारी से प्रयास करें तो आप बड़ी सफलता पाते हैं।
वैदिक ज्योतिष और हिंदू धर्म में 18 के अंक को बहुत ही शुभ माना जाता है। साथ ही अंकज्योतिष के लिए यह अंक इस लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसका योग 9 बनता है। अर्थात 1+8=9 अंक का निर्माण इसी 18 के योग से होता है और 9 अंक को न्यूमेरॉलजी का सबसे पॉवरफुल अंक माना जाता है।
सनातन धर्म, जिसे हम हिंदू धर्म कहकर पुकारते हैं। इस धर्म में ..18 पुराणों का जिक्र मिलता है। धर्म से जुड़ी जिन सिद्धियों के बारे में हम अक्सर सुनते हैं, उनकी कुल संख्या 18 है। इनमें अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम, महिमा, सिद्धि, ईशित्व अथवा वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञ, दूरश्रवणा, सृष्टि, परकायप्रवेशन, वाक्सिद्धि, कल्पवृक्षत्व,संहारकरणसामर्थ्य, भावना, अमरता, सर्वन्यायकत्व सम्मिलित हैं।
18 प्रकार की विद्याएं
छ वेदांग और चार चार वेद हैं। इनके साथ ही मीमांसा, न्यायशास्त्र, पुराण, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद, धनुर्वेद और गंधर्ववेद मिलकार 18 तरह की विद्याएं होती हैं।
काल के भी होते हैं 18 भेद
समय की गति, जिसे हम चक्रकाल कहते हैं, इसके भी 18 भेद होते है। इनमें एक संवत्सर, पांच ऋतुएं और 12 महीने होते हैं। इन सबको मिलकार काल के 18 भेद बनते हैं।
श्रीकृष्ण और 18 का अंक
कान्हा ने जिस गीता ज्ञान के जरिए मानव मात्र को जीवन का सार समझाया था, उस गीता में 18 अध्याय हैं । इतना ही नहीं इस ज्ञान सागर में श्लोक भी 18 हजार हैं।
मां शक्ति और 18 का अंक
मां भगवती के 18 प्रसिद्ध स्वरूप हैं। इनमें काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कूष्मांडा, कात्यायनी, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, पार्वती, श्रीराधा, सिद्धिदात्री और भगवती सम्मिलित हैं। साथ ही मां भगवती की 18 भुजाएं हैं।
सांख्य दर्शन में 18 का महत्व
सांख्य दर्शन में पुरुष, प्रकृति और मन के अतिरिक्त पांच महाभूतों- पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के साथ । पांच ज्ञानेंद्रियां- श्रोत, त्वचा चक्षु, नासिका एवं रसना हैं। इनके अतिरिक्त 5 कर्मेंद्रियां- वाक्, पाणि, पाद, पायु, एवं उपस्त हैं। इन सभी की गणना भी 18 बनती है।
अंकों की रचना वैज्ञानिक और चमत्कारपूर्ण है। द्वापर के अंत में अंक का चमत्कार इसी से देखा जा सकता है कि कौरव-पांडवों के युद्ध में 18 अक्षौहिणी सेना थी, 18 दिन तक युद्ध हुआ, उस युद्ध के 18 पर्व लिखे गए और श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया वह भी 18 अध्यायों में था। इसके अतिरिक्त 18 स्मृतियां, 18 पुराण आदि 18 की संख्या की विशेषता प्रदर्शित करते हैं।
18 का रहस्य :
कहते हैं कि महाभारत युद्ध में 18 संख्या का बहुत महत्व है। महाभारत की पुस्तक में 18 अध्याय हैं। कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया। 18 दिन तक ही युद्ध चला। गीता में भी 18 अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इस युद्ध में कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे।
यह सभी जानते हैं कि महाभारत का युद्ध कुल 18 दिनों तक चला था। इस दौरान भगवान कृष्ण ने 18 दिन तक अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसी कारण श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं- अर्जुनविषादयोग, सांख्ययोग, कर्मयोग, ज्ञानकर्मसंन्यासयोग, कर्मसंन्यासयोग, आत्मसंयमयोग, ज्ञानविज्ञानयोग, अक्षरब्रह्मयोग, राजविद्याराजगुह्ययोग, विभूतियोग, विश्वरूपदर्शनयोग, भक्तियोग, क्षेत्र, क्षेत्रज्ञविभागयोग, गुणत्रयविभागयोग, पुरुषोत्तमयोग, दैवासुरसम्पद्विभागयोग, श्रद्धात्रयविभागयोग और मोक्षसंन्यासयोग।
18 पर्व :
ऋषि वेदव्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना की जिसमें कुल 18 पर्व हैं- आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशासन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व। मालूम हो कि ऋषि वेदव्यास ने 18 पुराण भी रचे हैं।
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