NEW MAHA UPADESH OF AADISHRI, PART - 17 ; आदिश्री अरुण का महा उपदेश, भाग - 17 B

आदिश्री अरुण का महा उपदेश, भाग - 17 

NEW MAHA UPADESH OF AADISHRI, PART - 17 ; आदिश्री अरुण का महा उपदेश, भाग - 17


ईश्वर ने मनुष्य को इसलिए नहीं रचा कि मनुष्य क्रोध करे या आँशु बहाए। उन्होंने मनुष्य को अपने स्वरुप के अनुसार रचा और उसके लिए जरुरत की हर चीजों की रचना की ताकि मनुष्य के चहरे पर मुस्कान हो।  इसलिए मैं आपसे यह कहता हूँ कि हे मनुष्य ! आपकी मुस्कान आपके चहरे पर ईश्वर का हस्ताक्षर है। उस मुस्कान को आप आंशुओं से धुलने नहीं दीजिये  या क्रोध से मिटने नहीं दीजिये । मनुष्य को अपने जीवन में कई जरुरी  निर्णय लेने पड़ते हैं । आज वक्त आ गया है कि आप  जरुरी  निर्णय लें । लेकिन कुछ निर्णय तो मनुष्य बहुत आसानी से ले लेते हैं परन्तु कभी - कभी निर्णय लेना बहुत ही कठिन हो जाता है  । कई बार मनुष्य गलत निर्णय ले बैठता  है जिसका परिणाम उसे जिंदगी भर भुगतना पड़ता है ।  तो अब प्रश्न यह उठता है कि   किस तरह सही निर्णय लिया  जाय ? 
मनुष्य के द्वारा लिया गया हर एक निर्णय मनुष्य के ऊपर जीवन भर अपना प्रभाव छोड़ जाता है । इसलिए आज का लिया गया निर्णय भविष्य का सुख और दुःख तय करेगा  - यह न केवल आपके लिए बल्कि आपके पूरे  परिवार के लिए भी और  आने वाले कि पीढ़ियों के लिए भी भविष्य का सुख और दुःख तय करेगा ।   

जब भी कोई मनुष्य पड़ेशानी को झेलता है तो उसका मन विचलित हो जाता है  ।  जब भी कोई मनुष्य पड़ेशानी  को झेलता है तो उसका मन व्याकुल हो जाता है । उसके दिमाग में कई तरह की  बातें चलने लगता है । ऐसी परिस्थिति में किसी बात का निर्णय  लेना किसी युद्ध से कम नहीं होता । लेकिन जिस तरह कोई मनुष्य दौड़ते हुए भोजन नहीं कर सकता है ठीक उसी तरह अशांत मन कोई भी योग्य निर्णय नहीं ले सकता है ।

वास्तव में यदि मनुष्य शांत मन से कोई निर्णय ले तो वे अपने लिए एक सुखद भविष्य बना सकता है  और ऐसा लिया गया निर्णय उसके लिए भविष्य में खुशियाँ लेकर आएगा  । इसलिए मेरा यह परामर्श है कि आप कभी भी कोई भी निर्णय पड़ेशानी में या फिर अशांत मन में  नहीं लें बल्कि अपने  मन को अच्छी तरह से शांत करके, सभी बातों पर विचार करके पूरे  संयम के साथ लिया  करें  ताकि आपके द्वारा लिया गया प्रत्येक निर्णय भविष्य में आपके लिए सुख और खुशियाँ लेकर आए । 

इस बात को हमेशा याद रखें कि आपकी मुस्कान आपके चहरे पर ईश्वर का हस्ताक्षर है। उस मुस्कान को आप आंशुओं से धुलने नहीं दीजिये  या क्रोध से मिटने नहीं दीजिये । आप अपने जीवन के डायरी में आँशु या क्रोध के लिए कोई स्थान नहीं दें। 

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