साहस
(आदिश्री अरुण)
मन की ढृढ़ इच्छा जो बड़े से बड़ा काम करने को प्रवृत्त करती है उसे साहस कहते हैं। अर्थशास्त्र में उत्पत्ति हेतु आवश्यक माने गए पाँच साधनों में से एक है । दुनिया के सभी धर्मों में साहस को श्रेष्ठ स्थान दिया गया है।
इसका स्थान इसलिये भी बङा हो जाता है क्योंकि इस प्रवृत्ति से समाज एवं मानवता को लाभ
पहुंचता है। लेकिन साहस तभी आता है जब आपके पास एक मकसद
हो, एक जूनून हो।
कुछ पाकर खो देने का डर कुछ न पा सकने का भय, जिन्दगी की गाङी
पटरी से उतर न जाए इन्ही छोटी - छोटी चिन्तओं के डर से घिरी रहती है लेकिन जिन्दगी में जिस वक्त हम ठान लेते हैं कुछ नया करने का, साहस तभी जन्म लेता है ।
साहस का सकारात्मकता से गहरा रिश्ता है। ये सकारात्मकता ही थी कि
कोपरनिकस, अरस्तु , सकुरात, गैलिलीयो जैसे लोग बङे उद्देश्य के लिये साहस का प्रदर्शन कर
सके। सकारात्मकता नैतिक साहस को बढाती है। प्लेटो ने कहा कि साहस हमें डर से मुकाबला करना सिखाता है।
यह एक शाश्वत सत्य है कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में हम जिस चीज पर ध्यान केन्द्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से विस्तार होता है। इसलिए सफल होने के लिए हमें अपने चुने हुए लक्ष्य पर पूरी तरह से केंद्रित करने में साहस ही मदद करता है और तभी हम उसे हकीकत बनते देख पायेंगे।