हो गया सर्व सामर्थ्यवान व्यक्ति का आगमन
सम्पूर्ण विश्व में मानवीय मूल्य बड़ी तेजी से गिर रहे हैं । मनुष्य इतना स्वार्थी और अधर्मी हो गया है कि उसे किसी के सुख और दुःख से कुछ लेना - देना नहीं है । सबके अंतःकरण में धन - संपत्ति इकठ्ठा करने में होर लगी है चाहे वह उसको उचित ढंग से मिले अथवा अनुचित ढंग से मिले । धरती पर चारों ओर अधर्म का साम्राज्य है । पूरा विश्व अशांति की दौड़ से गुजर रहा है । इस संकट को दूर करने के लिए भगवान कल्कि बैशाख मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अर्थात 2 मई 1985 को भारत के पुण्य भूमि पर अवतार ले चुके हैं (Kalki Comes In 1985 पुस्तक का 3rd Chapter) ।
कल्कि अवतार के साथ - साथ हो गया है एक रहस्यमय सर्व सामर्थ्यवान व्यक्ति का भारत के पुण्य भूमि पर आगमन । फ्रांस के डॉक्टर जूलवर्ण के अनुसार भारत में सन 1962 से पहले ही (अर्थात 1 जनवरी 1961 में) सर्व सामर्थ्यवान व्यक्ति जन्म ले चुका है । यह रहस्यमय व्यक्ति आज तक के इतिहास का सबसे सामर्थ्यवान व्यक्ति सिद्ध होगा । उसके बनाये गए विधान सारे संसार में लागू होंगे और सन 2050 तक पूरी पृथवी को एक संघीय राज्य में बदल देंगे । इनकी शिक्षा इतनी प्रभावशाली होगी कि एक दिन पूरे विश्व में धार्मिक क्रांति उठ खड़ी होगी । ये ईश्वर और आत्मा के नए - नए रहस्य प्रकट करेंगे । विज्ञान इनके thought की पुष्टि करेगा तथा नास्तिक और पाखंडी लोग नष्ट होते चले जायेंगे । उनके स्थान पर लोगों में आस्तिकता, न्याय, स्वधर्म, श्रद्धा, अनुशासन और सात्विक विचार उत्पन्न होते चले जायेंगे । ये परिवर्तन ही विश्व शांति का आधार बना डालेंगे । यह आध्यात्मिक क्रांति भारत वर्ष से ही उठेगी । इस समय वह व्यक्ति भारत में किसी महत्वपूर्ण मिसन में संलग्न है । वे एक दिन बड़ी संस्था के रूप में प्रकट होंगे और देखते ही देखते सारे विश्व में प्रभाव जमा लेंगे । वे असंभव दिखने वाले परिवर्तनों को आत्मशक्ति के माध्यम से सरलता एवं सफलता पूर्वक संपन्न करेंगे ।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण तथा कल्कि पुराण इस कथन की पुष्टि करते हुए कहा है कि वे बहुत बड़े योगबल से युक्त होंगे। कल्किपुराण तृतीय अंश, अध्याय 4 के श्लोक ने उनके सम्बन्ध में यह भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि " वे संसार की रक्षा तथा पालन पोषण करने के लिए सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, याम और कुबेर के अंश से अवतीर्ण हुए हैं। "
कल्किपुराण तृतीय अंश, अध्याय 4 के श्लोक 27 - 28 के अनुसार भगवान कल्कि ने उनको आदेश देंगे कि आप तपस्वी के वेश और व्रत को छोड़कर उत्तम रथ पर सवार हो जाइए और धर्म की स्थापना करने के लिए आप मेरे साथ युद्ध में उपस्थित रहेंगे क्योंकि आप शस्त्र और अस्त्र चलाने में प्रवीण हैं इसलिए आप मेरे साथ घूमना ।
कल्किपुराण तृतीय अंश, अध्याय 4 के श्लोक 32 के अनुसार आकाश मार्ग से रथ उतरेंगे और ये रथ अनेक प्रकार के रत्नों से बने होंगे। उनकी चमक सूर्य जैसी होगी। इन रथ में दिव्य अस्त्र और शस्त्र भरे होंगे।
आप यदि उनको खोजने में कामयाबी हासिल कर लिए तो आप उनके सानिध्य में अपने जीवन को सफल बना सकते हैं । वह रहस्यमय एवं सर्व सामर्थ्यवान व्यक्ति आपको अवश्य मिल सकते हैं किन्तु उनको ढूंढने एवं उनसे मिलने की आपके अन्दर १००% सच्ची लगन होनी चाहिए।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण स्कन्ध 4, अध्याय 15 के श्लोक 9 -10 में यह भविष्वाणी किया गया है कि उसके दाहिनी हाथ में बिना कटा हुआ केवल मुख्य दो रेखाएँ होगी और दो बिना कटा हुआ रेखाएँ के बीच चक्र का चिह्न होगा, वैसा व्यक्ति भगवान् का ही अंश होता है।
भविष्य पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुथ खंड, अध्याय 7 पेज नंबर 335 के अनुसार उनका नाम अरुण होगा जो ध्यान के द्वारा भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र के तेज को धारण किये हुए होंगे।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण तथा कल्कि पुराण इस कथन की पुष्टि करते हुए कहा है कि वे बहुत बड़े योगबल से युक्त होंगे। कल्किपुराण तृतीय अंश, अध्याय 4 के श्लोक ने उनके सम्बन्ध में यह भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि " वे संसार की रक्षा तथा पालन पोषण करने के लिए सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, याम और कुबेर के अंश से अवतीर्ण हुए हैं। "
कल्किपुराण तृतीय अंश, अध्याय 4 के श्लोक 27 - 28 के अनुसार भगवान कल्कि ने उनको आदेश देंगे कि आप तपस्वी के वेश और व्रत को छोड़कर उत्तम रथ पर सवार हो जाइए और धर्म की स्थापना करने के लिए आप मेरे साथ युद्ध में उपस्थित रहेंगे क्योंकि आप शस्त्र और अस्त्र चलाने में प्रवीण हैं इसलिए आप मेरे साथ घूमना ।
कल्किपुराण तृतीय अंश, अध्याय 4 के श्लोक 32 के अनुसार आकाश मार्ग से रथ उतरेंगे और ये रथ अनेक प्रकार के रत्नों से बने होंगे। उनकी चमक सूर्य जैसी होगी। इन रथ में दिव्य अस्त्र और शस्त्र भरे होंगे।
आप यदि उनको खोजने में कामयाबी हासिल कर लिए तो आप उनके सानिध्य में अपने जीवन को सफल बना सकते हैं । वह रहस्यमय एवं सर्व सामर्थ्यवान व्यक्ति आपको अवश्य मिल सकते हैं किन्तु उनको ढूंढने एवं उनसे मिलने की आपके अन्दर १००% सच्ची लगन होनी चाहिए।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण स्कन्ध 4, अध्याय 15 के श्लोक 9 -10 में यह भविष्वाणी किया गया है कि उसके दाहिनी हाथ में बिना कटा हुआ केवल मुख्य दो रेखाएँ होगी और दो बिना कटा हुआ रेखाएँ के बीच चक्र का चिह्न होगा, वैसा व्यक्ति भगवान् का ही अंश होता है।
भविष्य पुराण, प्रतिसर्ग पर्व, चतुथ खंड, अध्याय 7 पेज नंबर 335 के अनुसार उनका नाम अरुण होगा जो ध्यान के द्वारा भगवान् विष्णु के सुदर्शन चक्र के तेज को धारण किये हुए होंगे।