भारत के पुण्य भूमि पर कल्कि धाम व् न्यू हैवन दर्शन का सौभाग्य
भारत के पुण्य भूमि पर कल्कि धाम व् न्यू हैवन दर्शन
का सौभाग्य
जिस प्रकार काशी धरती की भूमि नहीं है बल्कि वह भगवान
शिव के त्रिशूल पर बसा है, ठीक उसी
प्रकार
धर्मशास्त्रों के अनुसार नारायण गृह / न्यू हैवन / अभय धाम / नया यरूशलेम /
कल्कि
धाम धरती की भूमि नहीं है बल्कि यह स्थान ईश्वर के निज धाम से उतर कर धरती पर
आया है
धर्म ग्रंथों के अनुसार जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु दुष्टों का संहार करने और धर्म
की स्थापना के लिए अवतार लेते हैं। पुराणों के
अनुसार कलयुग के अंत में भगवान विष्णु एक और अवतार लेंगे। भगवान का यह अवतार कल्कि के रूप में
प्रसिद्ध होगा।
महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित महाभारत, श्रीमद्भागवतम महा पुराण, स्कन्द पुराण,
अगस्त संहिता,
पद्मपुराण, धर्मशास्त्र - प्रकाशित वाक्य
इत्यादि के अनुसार भगवान कल्कि के अवतार के संबंध में विस्तार से बताया गया है। आज हम आपको
भगवान कल्कि तथा उनके मंदिरों के संबंध में कुछ रोचक जानकारी बता रहे हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं।
* शंभल ग्राम
में विष्णुयशा नामक श्रेष्ट ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। भगवान
कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे।
* स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान
कल्कि पापियों, म्लेच्छों, दुष्टों और कोटि - कोटि डाकुओं का
संहार करने के बाद नारायण
गृह में विश्राम करेंगे
* जिस प्रकार काशी धरती की भूमि
नहीं है बल्कि वह भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा है, ठीक
उसी प्रकार धर्मशास्त्रों के अनुसार नारायण
गृह / न्यू हैवन
/ अभय धाम / नया यरूशलेम / कल्कि धाम धरती की भूमि नहीं है बल्कि यह
स्थान ईश्वर के
निज धाम से उतर कर धरती पर आया है
* धमशास्त्रों के अनुसार नारायण
गृह को न्यू हैवन, अभय धाम, नया यरूशलेम तथा कल्कि धाम
इत्यादि नामों के द्वारा सम्बोधित
किया जाएगा।
* धमशास्त्रों के अनुसार नारायण गृह / न्यू हैवन / अभय
धाम / नया यरूशलेम / कल्कि धाम
दिल्ली में (पुराना नाम इंद्रप्रस्थ में) बनेगा और वह स्थान होगा पूठ खुर्द (मुंडका पूठ खुर्द से 6 किलो मीटर की दुरी पर होगा)
पुरातत्वेत्ता के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का शीश काटा था तो वह शीश मुंडका सरोवर में ही जाकर गिरा था। मुंडका में वह सरोवर आज भी मौजूद है।
* धमशास्त्रों के अनुसार ईश्वर पुत्र अरुण (आदिश्री अरुण) जिस स्थान
में करेगा उसी स्थान में
भगवान कल्कि जी को विश्राम करने के लिए नारायण गृह / न्यू हैवन / अभय धाम / नया
यरूशलेम
/ कल्कि धाम का निर्माण कराएगा।
* ईश्वर का यह भवन कैसा होगा ? उसका
मॉडल ईश्वर स्वयं उन्हें दिखाएंगे और वे उसी मॉडल के
अनुसार ईश्वर के लिए भवन बनवाएँगे।
Kalki Purana / कल्कि पुराण :
कल्कि पुराण में Lord Kalki / भगवान कल्कि से जुडी 12 बातें बताई गई है , इसके अनुसार -
1. अवतार :- 1985 ई में संभल ग्राम - मथुरा, उत्तर प्रदेश में बैशाख मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि को भगवान कल्कि का अवतार हुआ
2. जन्म स्थान :- संभल (मथुरा - वृन्दावन के बॉर्डर पर )
3. बाल रूप को देखने वाले :- इनको वाल्यावस्था में देखने के लिए चार लोग आये - परशुराम, कृपाचार्य, वेद व्यास और अश्वत्थामा
4. माता – पिता :- सुमति तथा विष्णु यशा
5. दादा :- ब्रह्म यश
6. भाई:- सुमंत, प्राज्ञ और कवि
7. गुरु: - परशुराम
8. पत्नी :- श्री लंका के राजा बृहद्रथ की बेटी पद्मा और भल्लाट नगर के राजा शशिध्वज की बेटी
रमा
9. बच्चे :- जय, विजय, मेघमाल और बलाहक
10. घोडा :- सफेद (देव दत्त नमक घोडा )
11. अस्त्र :- रतनसरु नामक तलवार, करवाल और अनेक दिव्य अस्त्र
12. विश्राम स्थान (विनाश करने के बाद रहने का स्थान) :- पापियों को नष्ट करने के बाद कल्कि जी का विश्राम करने का स्थान - पूठ खुर्द, दिल्ली - 39 में निर्मित नारायणा गृह / न्यू हैवन / अभय धाम / नया येरुसलेम ही होगा कोई अन्य स्थान कदापि नहीं (स्कन्द पुराण, धर्मशास्त्र और अगस्त संहिता)