Dravya-Yagya on Guru
Purnima
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर द्रव्य यज्ञ का आयोजन
गुरु की रहमत
से हाथ की
लकीर बदल जाती
है
लेता जो भी
गुरु का नाम
, पल भर में
उसकी तक़दीर बदल
जाती है
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णु र्गुरूदेवो
महेश्वरः।
गुरुः साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे
नमः॥
द्रव्य यज्ञ
लोगों के कल्याण के लिए गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर द्रव्य यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है द्रव्य यज्ञ करने से भरपूर मात्रा में धन की प्राप्ति होती है। धन संकट का नाश होता होता है । वेदकेअनुसार अग्नि में जिस चीज की आहुति दी जाती है वह चीज प्रचुर मात्रा में यज्ञ करने वाले कोवापस मिलता है । जो व्यक्ति अपने हाथों से अग्नि में आहुति देगा केवल उसी को फल मिलेगा।इसलिए सभी व्यक्ति अपने हाथों से अग्नि में केवल उसी चीजों की आहुति दें जिस चीज की उन्हें कमी है ।
लोगों के कल्याण के लिए गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर द्रव्य यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है द्रव्य यज्ञ करने से भरपूर मात्रा में धन की प्राप्ति होती है। धन संकट का नाश होता होता है । वेदकेअनुसार अग्नि में जिस चीज की आहुति दी जाती है वह चीज प्रचुर मात्रा में यज्ञ करने वाले कोवापस मिलता है । जो व्यक्ति अपने हाथों से अग्नि में आहुति देगा केवल उसी को फल मिलेगा।इसलिए सभी व्यक्ति अपने हाथों से अग्नि में केवल उसी चीजों की आहुति दें जिस चीज की उन्हें कमी है ।
*पूर्णिमा का अर्थ क्या होता है ?
"पूर्णिमा" का अर्थ होता है पूर्ण आकार में चन्द्रमा का होना। "पूर्णिमा" शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि गुरु पूर्णिमा के पर्व के दिन चन्द्रमा पूर्ण कला (पूर्ण आकार) में होता है।
*गुरु पूर्णिमा कब है ?
गुरु पूर्णिमा 9 जुलाई 2017 अर्थात Sunday को है।
गुरु पूर्णिमा पर क्या करें :
* यह पर्व श्रद्धा से मनाना चाहिए, अंधविश्वास के आधार पर नहीं।
* इस दिन वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर गुरु को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
* गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करें (Thoughts में) उन्हें यथा योग्य दक्षिणा देना चाहिए। यह केवल उन
लोगों के लिए है जो किसी कारण से अपने गुरूदेव के पास नहीं पहुँच सकते हैं ।
*गुरु का आशीर्वाद सभी-छोटे-बड़े लोगों के लिए कल्याणकारी तथा ज्ञानवर्द्धक होता है।
क्या करें गुरु पूर्णिमा के दिन :
* प्रातः घर की सफाई, स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके तैयार हो जाएं।
* घर के किसी पवित्र स्थान पर सफेद वस्त्र बिछाना ।
* फिर गुरु के नाम को मंत्र के रूप में उच्चारण करके पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
* तत्पश्चात दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ना चाहिए।
* फिर गुरु के नाम मंत्र से पूजा का आवाहन करना चाहिए।
* अब अपने गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करें (Thoughts में) उन्हें यथा योग्य दक्षिणा देना चाहिए। यह केवल उन लोगों के लिए है जो किसी कारण से अपने गुरूदेव के पास नहीं पहुँच सकते हैं ।