Lord Kalki has arrived on Indian Soul


Lord Kalki has arrived on Indian Soul 

भगवान कल्कि का आगमन भारत के पूण्य भूमि पर हो चुका है


आदिश्री अरुण 

Lord Kalki has arrived on Indian Soul
अब तक जितने भी अवतार हुए हैं या पैगम्बर हुए हैं या ईश्वर के दूत हुए हैं उन सबको लोग उनके होने के बाद या उनके जीवन काल की अवधि में या उनके शरीर त्याग के बाद से ही जानते हैं। जैसे भगवान राम धरा पर अवतरित हुए तो उस समय कोई नहीं जानता था कि ये भगवान विष्णु के अवतार हैं और त्रेता में भगवान विष्णु के अवतार का नाम राम चन्द्र होगा । 


उस समय उनके बारे में धरती पर केवल एक ही आदमी वाल्मीकि जी को पता था कि त्रेता में भगवान विष्णु के अवतार होंगे और श्रीहरि का नाम राम चन्द्र होगा । द्वापर युग में कोई नहीं जानता था कि श्रीहरि का अवतार हो गया और उनका नाम कृष्ण चन्द्र है । उस समय केवल गर्ग ऋषि को ही पता था कि भगवान विष्णु के 16 कला का अवतार हो चुका है और उनका नाम कृष्ण चन्द्र है । गर्ग ऋषि ने ही छिप कर उनके माता - पिता को बालक के साथ अपनी कुटिया  पर बुलाये और उनका नाम कृष्ण चन्द्र रखे   । छिपकर नामकरण करने का एक मात्र कारन यह था कि यदि यह बात कंस को मालूम हो जाता तो कंस भगवान के शरीर को नाश करने का उपाय करता । जब तक भगवान कृष्ण बड़े नहीं हो गए तब तक किसी को भी उनके बारे में मालूम नहीं हुआ  कि ये भगवान के अवतार हैं । वे बालकपण गोपियों सबके  बीच रहकर गुजारे, उनके बीच अनेक लीलायें  करते रहे लेकिन कोई नहीं जानता था कि गाय चराने वाला ये "गौचरवाहा " बालक भगवान होगा । अगर यदि गोपियों को थोड़ा सा भी इस बात का भनक पड़ता तो गोपियाँ भगवान को कभी छोड़ती ? इसी तरह भगवान बुद्ध के बारे में कोई भी व्यक्ति ने नहीं जाना कि ये भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसी तरह श्री हरि को  "कल्कि" नाम से  अवतार लेकर धरती पर  आने के बारे में कोई नहीं जान सकता । धर्मशास्त्र में ईश्वर ने कहा कि "देखो, मैं चोर की तरह आऊँगा ।" धर्मशास्त्र साफ़ - साफ़ शब्दों में भविष्यवाणी करता है कि भगवान कल्कि का आविर्भाव गुप्त रूप से होगा ।  आज की तिथि में सब वाल्मिकी और गर्ग ऋषि तो नहीं हो सकते  जो जान जायेंगे की कल्कि अवतार हो चुका और पहचान लेंगे की ये कल्कि अवतार हैं। लेकिन एक आदमी धरती पर है जो जिन्हें कल्कि अवतार के बारे में सब कुछ मालूम है और वे उनको पहचान भी लेंगे; उनका नाम है ईश्वर पुत्र अरुण।  

        
श्रीमदभागवतम  महा पुराण में महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि भगवान कल्कि  कलियुग में छिप कर रहेंगे । धर्मशास्त्र यह भविष्यवाणी करता है कि कल्कि आवतार के आने के घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र परन्तु केवल पिता जनता है। देखो, जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा ? कल्कि अवतार कब आजायेंगे इसके बारे में तुम कुछ भी उम्मीद भी नहीं कर सकते हो । इसलिए तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में  तुम सोचते भी नहीं होगे, उसी घड़ी कल्कि अवतार तुम्हारे सामने आ जायेंगे ।


ईश्वर के महान और प्रसिद्ध दिन आने के पहले सूर्य अँधेरा और चाँद लहू के जैसे लाल हो जाएगा । (धर्मशास्त्र, प्रेरितों के काम 2:20) देखो वो बादलों के साथ  आने वाला है और हर एक आँख  उसे देखेगी । (धर्मशास्त्र, प्रकाशितवाक्य 1 :7) उस दिन बहुत बड़ा  भूकंप होगा,सूर्य कम्बल  की तरह काला और चन्द्रमा लहू के जैसे लाल हो जाएगा , आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़ेंगे जैसे बड़ी आंधी से हिल कर अंजीर  के पेड़  में से कच्चे फल  झड़ते हैं। आकाश ऐसे सरक जायेगा जैसा पत्र लपेटने से सरक जाता है । हर एक पहाड़ और टापू अपने स्थान से टल  जाएगा । (धर्मशास्त्र, प्रकाशितवाक्य 6:12 -14 ) यह समय उस समय आएगा जब लोग कहते होंगे कि कुशल है और कुछ भय नहीं तो उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा। (धर्मशास्त्र, 1 थिस्सलुनीकियों 5 :3) मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जैसे रात को चोर आता है वैसा ही प्रभु का दिन आने वाला है। (धर्मशास्त्र,1 थिस्सलुनीकियों 5 :2)


भगवान कल्कि जी का अवतार कब हुआ ?

वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया । माता - पिता ने पुलकित होकर इस पुत्र को पैदा होते देखा । (कल्कि पुराण, प्रथम अंश, द्वितीय अध्याय, श्लोक 10 - 11, 15) Kalki Comes in 1985 पुस्तक में यह भविष्यवाणी किया गया है कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को सन 1985 में  भगवान विष्णु ने शम्भल ग्राम में अवतार लिया ।


वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान कल्किभारत के पूण्य भूमि पर अवतार लिए । (कल्कि पुराण 1 ;  2 :15 तथा कल्कि कम्स इन नाइनटीन  एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय - 3) कल्कि कम्स  इन नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय - 3 के अनुसार सन 1985  में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में, विष्णु यश के घर भगवान कल्कि जी ने अवतार ग्रहण किया । सन 1985  में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी  तिथि 2  मई  को पड़ता है (अर्थात 2 May 1985), इस कारण भगवान कल्कि  2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि  शम्भल ग्राम में अवतार ग्रहण किए ।

भगवान कल्कि जी का अवतार कहाँ  हुआ ?


धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान कल्कि उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में श्रेष्ठ ब्राह्मण (Group of  Brahman) विष्णुयश के  घर अवतार लेंगे । उत्तर भारत में दो शम्भल ग्राम है - एक मुरादाबाद में तथा दूसरा मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) । मुरादाबाद शम्भल में 98 % मुस्लिम हैं तथा 2 % में अन्य जातियाँ निवास करती है तथा यहाँ बहुत कम ही ब्रह्मण परिवार हैं। यहाँ के अधिकतर लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और भगवान कृष्ण  पूजा करने वाले लोग नहीं के बराबर हैं । अतः इस शम्भल में Group of  Brahman की कल्पना ही नहीं किया जासकता है । मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ पार  ब्रह्मणों की संख्या बहुत ही अधिक  लोग हैं तथा यहाँ के अधिकतर लोग भगवान कृष्ण की पूजा करने  वाले हैं । अतः यही शम्भल भगवान कल्कि जी का अवतार स्थान है। संक्षिप्त भविष्यपुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि  मैं देवताओं के हित और दैत्यों  के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा  । धर्मशास्त्र के अनुसार भगवान कल्कि  2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि पर  मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ  पर अवतार लिए । 
कृष्णा  अवतार  की तरह  इस बार  भी  कल्कि जी चार भुजा में अवतार लिए, लेकिन ब्रह्माजी उसी समय वायु देव को भेज कर कल्कि भगवान को यह संदेश भिजावाए कि उन्हें  साधारण मनुष्य रूप में रहना है। ब्रह्माजी का संदेश पाकर कल्कि भगवान मनुष्य रूप में प्रकट हो  गए ।  यह लीला जब उनके माता-पिता देखे तो वो हैरान हो गए । उन्हें ऐसा लगा कि किसी भ्रमवश उन्होंने अपने पुत्र को चार भुजा में देखा था।

भगवान कल्कि जी का माता - पिता कौन  ?


भगवान कल्कि के माता का नाम सुमति और पिता का नाम विष्णुयश है (कल्कि पुराण 1 ;2 :4 ) । श्रीमदभागवतम महा पुराण 12 ;2 : 18, श्रीमद्देवी भागवत, स्कन्ध- 1 पेज न ० 660, श्री विष्णु पुराण, चतुर्थ अंश, पेज न ० 301, मत्स्य पुराण,अध्याय - 47, महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार" पेज न ० 311, ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड, पेज न ० 115 में भगवान कल्कि जी के पिता के नाम की भविष्यवाणी है। केवल कल्कि पुराण 1 ;2 :4 में ही भगवान कल्कि जी के माता - पिता के नाम की भविष्यवाणी किया गया  है।   
       

विष्णुयश कौन ?


धर्मग्रन्थों में भगवान कल्कि जी के पिता जिस विष्णुयश के बारे में भविष्यवाणी की गई है वे वास्तव में स्वयम्भू मनु के अवतार हैं । पद्म पुराण 1 ; 40 :46 ,  उत्तरखंड,  शीर्षक " रामावतार की कथा -  जन्म का प्रसंग" पेज नंबर - 949 के अनुसार नैमिषारण्य में  गोमती  किनारे तप करके भगवन विष्णु जी को प्रसन्न किए और यह वरदान मांगे कि आप तीन जन्मों तक  मेरे पुत्र के रूप में जन्म लीजिए ।  इसलिए स्वयम्भू मनु के तीन जन्मों तक भगवान विष्णु उनके पुत्र के रूप में अवतार लिए।   उनका पहला जन्म हुआ  -  राजा दशरथ के रूप में और भगवान  विष्णु राम नाम से उनके पुत्र के रूप में जन्म लिए ।  उनका दूसरा  जन्म हुआ  - वासुदेव जी के रूप में और भगवान विष्णु कृष्ण नाम से उनके पुत्र के रूप में जन्म लिए । उनका तीसरा  जन्म हुआ  - विष्णुयश  जी के रूप में और भगवान  विष्णु  कल्कि नाम से उनके पुत्र के रूप में जन्म लिए। 

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