What is the Secret Of bringing Happiness inside the house?

घर में खुशियों को लाने का क्या है राज ?


ईश्वर पुत्र अरुण 

What is the Secret Of bringing Happiness inside the house?

घर में खुशियों को लाने का क्या है राज ?


अगर खुशियाँ ढूंढोगे तो वह अवश्य ही मिलेगा  । अगर आप कहेंगे कि वह खुद चल कर आपके पास आ जाए  तो यह कभी भी संभव नहीं है । खुशियाँ पाने के लिए एक आजमाया हुआ उपाय है - 




"खुशी बांटने में समुद्र की तरह बनो ताकि कभी ऐसा न लगे कि खुशियाँ बांटने से हमारी खुशियाँ कम हो जाएंगी"। अगर आप इस सिद्धान्त पर चले तो निश्चित ही खुशियाँ खुद व् खुद  चल कर आपके पास आजायेगी । खुसी तब छाएगा जब उसके अनुकूल मौसम हो और अनुकूल मौसम तब आएगा जब आप खुशी बांटने में समुद्र की तरह बनिएगा । खुशी की तुलना एक इंद्रधनुष व् मेघधनुष  से कर सकते हैं। इंद्रधनुष व् मेघधनुष तब दिखाई देता है जब उसके लिए मौसम अनुकूल हो। और जब उसके लिए मौसम पूरी तरह अनुकूल हो तो वह और भी शानदार दिखाई देता है।


जीवित रहने के लिए खुशयाँ निहायत जरूरी है। जीवन से संबंधित कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके जवाब पाने में सिर्फ परमेश्वर ही हमारी मदद कर सकता है। और ऐसे सवालों का जवाब हासिल करना खासकर आज हमारे लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि आज ज़िंदगी के मकसद और खुशी पाने के तरीकों के बारे में अलग-अलग धारणाएँ फैली हुई हैं। किताबों की दुकानें ऐसी किताबों से भरी पड़ी हैं जो लोगों को अच्छी सेहत, धन-दौलत और खुशी पाने की अच्छी से अच्छी सलाह देने का दावा करती हैं। इंटरनॆट पर भी ऐसे साइट्‌स हैं जो खास तौर पर खुशी पाने के बारे में बताते हैं।


लेकिन वास्तविक सच  यह है कि इंसान की इन धारणाओं के पीछे परमेश्वर का मार्गदर्शन नहीं होता। उनकी मौजूदा  धारणाएँ लोगों में स्वार्थ या अहंकार को बढ़ावा देती है। उनकी मौजूदा धारणाएँ  सीमित ज्ञान, मन की अविकसित उपज  और  अकसर झूठ पर आधारित होती हैं। वास्तविकता यह है कि जो सिद्धांत सृष्टिकर्ता में विश्वास करने की बात को नकार देता है, उसको  मानकर चलने से खुशी नहीं मिलती। चाहे आप लाख कोशिश कर लो  इसके बावजूद भी आपको  खुशी के जगह निराशा ही हाथ लगेगी। 


परमेश्वर को यह मालूम था  कि सच्ची खुशी दूसरों के साथ हमारे रिश्तों पर भी निर्भर करती है। हम इंसानों में दूसरों का साथ पाने की पैदाइशी इच्छा होती है। इसलिए अगर हम हमेशा लोगों से दूर अकेले रहें या उनसे लड़ते - झगड़ते रहें तो हमें सच्ची खुशी नहीं मिल सकती। सच्ची खुशी तभी हासिल होगी जब हमें दूसरों का प्यार मिलेगा और हम भी उनको प्यार देंगे। लोगों के साथ ऐसा प्यार-भरा रिश्ता तभी मुमकिन होगा जब परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता अच्छा होगा। 


परमेश्वर  ने आदम और हव्वा को बनाया और उन्हें पति-पत्नी के रिश्ते में जोड़कर पहले परिवार की शुरूआत की। उन्हें फिरदौस जैसा एक खूबसूरत घर दिया गया, जिसे हम अदन बाटिका  के नाम से जानते हैं। उन्हें संतान पैदा करने की आशीष देते हुए परमेश्वर ने कहा: “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ।” (धर्मशास्त्र, उत्पत्ति 1:26-28; 2:18, 21-24) 


धर्मशास्त्र यह  वयान करता  है कि एक पति को अपनी पत्नी के साथ उसी तरह व्यवहार करना चाहिए, जैसे परमेश्वर ने आपके साथ व्यवहार किया । परमेश्वर ने कहा कि मेरी आज्ञा यह है कि जैसे मैंने तुमसे प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो । (धर्मशास्त्र, यूहन्ना 15 :12) परमेश्वर ने ऐसा भी कहा कि : “हे पतियों , तुम अपनी पत्नी से प्रेम रखो। यह उचित है, कि पति  अपनी पत्नी से अपने  देह के समान प्रेम रखे। जो अपनी पत्नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है। क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा बरन उसका पालन-पोषण करता है। उसी तरह पतियों को यह सलाह दिया  गया  है कि : “अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो।” (धर्मशास्त्र, कुलुस्सियों 3:19) अगर एक पत्नी कभी - कभी नासमझी के काम करती है, क्या तब भी इस सलाह पर चलना चाहिए ? इसके लिए मैं तो यह कहूंगा कि प्रेम से किसी के भी मन को जीता जा सकता है और उसे अपने अनुकूल चलाया जासकता है।  प्रेम से तो हर किसी के  मन को जीता जा सकता है लेकिन नफरत से कुछ भी संभव नहीं है ।  पति को याद रखना चाहिए कि वह भी गलतियाँ करता है, और वह परमेश्वर से माफी की उम्मीद तभी कर सकता है जब वह खुद दूसरों को माफ करे। इनमें उसकी पत्नी भी आती है। बेशक पत्नी को भी यही करना चाहिए यानी उसे अपने पति की गलतियाँ माफ करनी चाहिए।


यह सच है कि आज हमारी ज़िंदगी मुसीबतों से घिरी हुई है और वैसी नहीं है जैसा परमेश्वर चाहते थे , फिर भी परिवार में खुशियाँ हासिल करना मुमकिन है। अगर घर का हर सदस्य परमेश्वर की तरह एक-दूसरे से प्यार करना सीख ले और उसकी मिसाल पर चले, तो वह परिवार को और ज़्यादा सुखी बनाने में कामयाब हो सकेगा और घर के आँगन में खुशियाँ नाचेगी । 

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