When Satya-yug will arrive / कब आएगा सतयुग ?
ईश्वर पुत्र अरुण
कल्कि अवतार को आने का अर्थ है म्लेच्छ, दुष्ट, और पापियों का समूल विनाश और फिर से सतयुग की स्थापना।
सभी धर्म ग्रन्थ यह भविष्यवाणी किया है कि जब संसार काफी गन्दा और अधर्मियों से भर जाएगा तब भगवान् कल्कि जी म्लेच्छ, दुष्ट, और पापियों का समूल विनाश करने और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए धरती पर आएँगे और धर्मी लोगों को बचाकर फिर से सतयुग को लाएँगे। महाभारत, वन पर्व, शीर्षक "कलि धर्म और कल्कि अवतार" में यह भविष्यवाणी किया गया है कि "कल्कि अवतार बहुत ही बलवान, बुद्धिमान और पराक्रमी होंगे। मन के द्वारा चिंतन करते ही उनके पास इच्छानुसार वाहन अस्त्र-शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जाएँगे। वे ब्राह्मणों की सेना साथ लेकर संसार में सर्वत्र फैले हुए म्लेच्छों को नाश कर डालेंगे। वही सब दुष्टों को नाश करके सत्ययुग का प्रवर्तक होंगे।" इसके साथ - साथ यह भी भविष्यवाणी किया गया है कि - जब सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति एक ही राशि में एक ही पुष्य नक्षत्र पर एकत्र होंगे, उस समय सत्य-युग का प्रारम्भ होगा। फिर तो ग्रहों की गति अनुकूल हो जाएगी। सबका मंगल होगा तथा सुभिक्ष और आरोग्य का विस्तार होगा।
श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12 ;2:19 -20 में महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि - भगवान कल्कि देवदत्त नामक शीघ्रगामी घोड़े पर सवार होकर दुष्टों को तलवार के घाट उतार कर ठीक करेंगे। उनके रोम - रोम से अतुलनीय तेज किरणें छिटकती होंगी। वे अपने शीघ्रगामी घोड़े से पृथ्वी पर सर्वत्र विचरण करेंगे और राजा के वेश में छिप कर रहने वाले कोटि - कोटि डाकुओं का संहार करेंगे। श्रीमद्भागवतम महा पुराण 12 ;2:24 में महर्षि वेद व्यास जी ने यह भी भविष्यवाणी किया कि " जिस समय सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति एक ही समय एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करेंगे , एक राशि पर आएंगे , उसी समय सत्य-युग का प्रारम्भ होगा। "
श्रीविष्णुपुराण चतुर्थ अंश, अध्याय 24 के श्लोक 102, पे ० न ० 302 में यह भविष्वाणी किया गया है कि " जिस समय सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति पुष्य नक्षत्र में स्थित होकर एक राशि पर एक साथ आएंगे , उसी समय सत्य-युग का प्रारम्भ होजाएगा । " धर्मग्रंथों में की गई भविष्वाणी का ऐसा घटना 26 जुलाई 2014 को ही घटा और उसी दिन से कलियुग के साम्राज्य में ही सत्य-युग प्रवेश कर गया। अब तो धरती पर धर्म की स्थापना होना शेष बचा है। जब धरती पर धर्म की स्थापना हो जाएगी तब सत्य-युग धरती को अपने पूर्ण प्रभाव में ले लेगी और प्रजा धरती पर आनंद से रहने लगेगी।