What is 11 Promises of God to Man?


क्या हैँ मनुष्य के लिए परमेश्वर  के ११ वादे ?

ईश्वर पुत्र अरुण 

What is  11 Promises of God to Man?

What is  11 Promises of God to Man?

परमेश्वर ने मनुष्य के लिए बहुत वादे किये हैं जो धर्मशास्त्र के पन्नों पर अंकित हैं । परमेश्वर केवल उन मनुष्यों के साथ अपने वादे को पूरा  नहीं किये क्योंकि उसने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया । परमेश्वर अपने वादे को न तो तोड़ते हैं और न ही अपने वादे  में बदलाव करते हैं । परमेश्वर  तुमको आरोग्य करने वाले हैं, वे तुमको दिलासा देने वाले हैं, वे तुमको बुद्धि, शांति एवं आनंद देने वाले हैं । वे चाहते हैं कि तुम पर  उनकी कृपा, क्षमा, दया और ताकत हमेशा बरसती रहे। लेकिन तुम परमेश्वर में विश्वास करो कि वे तुम्हारी आवश्यकताओं की प्रत्येक चीजों को देंगे। विश्वास के साथ उनमें स्थिर रहो क्योंकि उन्होंने कहा कि मैं सब कुछ प्रदान करने वाला परमेश्वर हूँ । यदि तुम सचमुच परमेश्वर का आशीर्वाद पाना चाहते हो तो प्रार्थना में विश्वास के साथ उनकी प्रशंसा करो । विश्वास के बिना उसे प्रसन्न करना असंभव है । इसलिए  परमेश्वर के पास आने वाले व्यक्ति को विश्वास करना चाहिए ताकि उसे प्रतिफल मिल सके । विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चुनौती   पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उसने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है। विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया। विश्वास ही से उस ने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रह कर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया। क्योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिसका रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है। 

विश्वास से ही इब्राहीम की पत्नी सारा ने  बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्योंकि उस ने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्चा जाना था।  इस कारण एक ही जन से जो मरा हुआ सा था, आकाश के तारों और समुद्र के तीर के बालू की नाईं, अनगिनित वंश उत्पन्न हुआ । इसलिए जो परमेश्वर के पास आता है उसके लिए यह आवश्यक है कि वे परमेश्वर में विश्वास करे । जो लोग परमेश्वर को लगन से तलाश करते हैं उनको वो अच्छा प्रतिफल देते हैं। यदि तुम  भी परमेश्वर में विश्वास करोगे तो परमेश्वर तुम्हारे  विश्वास का सम्मान करेंगे और वे ऐसा करेंगे कि सभी अच्छी चीजें तुम्हारे  पास  आ सके । 

परमेश्वर ने मनुष्य के साथ मुख्य ग्यारह वादे किए  जो निम्नलिखित हैं :

(1) यदि तुम अपने परमेश्वर को ढूंढोगे तो वह तुमको मिल जाएगा लेकिन शर्त यह है कि तुम अपने पूरे मन से और अपने सारे प्राण से उसे ढूंढो। (धर्मशास्त्र, व्यवस्थाविवरण 4:29)
(2) परमेश्वर ने वादा किया है कि उनका प्यार कभी असफल नहीं होगा । (धर्मशास्त्र, 1 इतिहास 16:34)
(3) परमेश्वर ने वादा किया है कि मैं उन सभी को आशीर्वाद दूंगा जो न दुष्टों की युक्ति पर चलता है, न पापियों के मार्ग में खड़ा होता है और न ठट्ठा करने वाले के मंडलियों में बैठता है; परन्तु वह जो केवल परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न रहता और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है। (धर्मशास्त्र, भजन संहिता  1:1–2)
(4) परमेश्वर ने  वादा किया है कि मैं  तुम्हारे लिए वापस आऊंगा  (धर्मशास्त्र, यूहन्ना 14:2–3)
(5) परमेश्वर तुम्हारे लिए लड़ेंगे और तुम अपनी शांति धारण करोगे (धर्मशास्त्र , निर्गमन 14:14)
(6) परमेश्वर तेरे आगे आगे चलेंगे, वे  तेरे संग रहेंगे; वे  न तो तुझे धोखा देंगे और न छोड़ेंगे ; इसलिये मत डर और तेरा मन कच्चा न हो (धर्मशास्त्र, व्यवस्थाविवरण  31:8)
(7) परमेश्वर ने कहा कि  सुन, मैं तेरे संग रहूंगा, जहां कहीं तू जाए वहां तेरी रक्षा करूंगा, और तुझे इस देश में लौटा ले आऊंगा। मैं अपने कहे हुए को जब तक पूरा न कर लूं तब तक तुझ को न छोडूंगा। (धर्मशास्त्र, उत्पत्ति 28:15)
(8) परमेश्वर ने कहा कि हियाव बाँधकर दृढ हो जा, भय न खा और तेरा मन कच्चा न हो क्योंकि जहाँ - जहाँ तू जाएगा वहाँ तेरा परमेश्वर तेरे संग रहेगा ।  (धर्मशास्त्र, यहोशू  1:9)
(9) परमेश्वर ने कहा कि मैं तुम्हें बुद्धि दूंगा और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उसमें मैं तेरी अगुवाई करूँगा । (धर्मशास्त्र, भजन संहिता 32:8)
(10) तुम अपने समझ का सहारा न लेना बल्कि पूरे मन से परमेश्वर में विश्वास करो और भरोसा करो, केवल उसी को स्मरण करके सब काम करो । तब वह तेरे लिए सीधा मार्ग निकालेंगे   । (धर्मशास्त्र, नीतिवचन 3:5-6)
(11) जो परमेश्वर का इन्तजार करेंगे वे नया बल प्राप्त करेंगे, वे उकाबों कि तरह उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे, वे श्रम करेंगे, चलेंगे किन्तु थकेंगे नहीं  । (धर्मशास्त्र, यशायाह  40:31)

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