आत्मविश्वास के संबंध में आदिश्री अरुण जी का 13 उपदेश ?
आदिश्री अरुण
Thirteen Aspects of Aadishri Arun for Self-Confidence
वास्तव में आत्मविश्वास एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों को सम्पादित करने में सरलता और सफलता मिलती है। इसी के द्वारा आत्मरक्षा होती है। जिस व्यक्ति के पास आत्मविश्वास है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिन्ता नहीं रहती है। उसे तो कोई चिन्ता सताती ही नहीं है । दूसरे व्यक्ति जो सन्देहों और शंकाओं से दबे रहते हैं, वह उनसे सदैव मुक्त रहता है। आत्मविश्वास तो व्यक्ति की आंतरिक भावना है और इसके बिना जीवन में सफल होना असंभव है।
मनुष्य को जीवन में दूसरों पर भरोसा न कर आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी होना चाहिए । दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता ही उसके जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके उद्देश्य का मूल-मन्त्र होना चाहिए । असंयमित स्वभाव तथा मनुष्य का परिस्थितियों में घिरा होना, पूर्णरूपेण आत्मविश्वास के मार्ग को अवरूद्ध करता है । आत्मविश्वास ही सफलता की नींव है। आत्मविश्वास की कमी के कारण व्यक्ति अपने द्वारा किये गए कार्य पर संदेह करता है और नकारात्मक विचारों (Negative Thoughts) के जाल में फंस जाता है। आत्मविश्वास उसी व्यक्ति के पास होता है जो स्वंय से संतुष्ट होता है एंव जिसके पास दृड़ निश्चय, मिहनत , लगन, साहस, वचनबद्धता आदि संस्कारों की सम्पति होती है।
स्वंय पर विश्वास रखना, लक्ष्य बनाए रखना एंव उन्हें पूरा करने के लिए वचनबद्ध रहना आत्मविश्वास के जड़ को हरा रखने में मदद करता है। जब आप अपने द्वारा बनाये गए लक्ष्य को पूरा करते हैं तो यह आपके आत्मविश्वास को कई गुना बढ़ा देता है। मैं तो यह कहूंगा कि ऐसे लक्ष्य बनाइए जिसे आप प्राप्त कर सकें क्योंकि यदि आप ऐसे लक्ष्य बनाते है जिसे आप पूरा नहीं कर सकते तो यह आपके आत्मविश्वास को गिरा देंगे और आपका स्वंय पर विश्वास कम हो होजाएगा ।
आत्मविश्वास के संबंध में आदिश्री अरुण जी का 13 उपदेश निम्नलिखित हैं :
(1) जैसा आपका आत्मविश्वास होगा वैसा ही आपकी क्षमता भी होगी ।
(2) चाहे आप छोटी या बड़ी जगह से हों, आपकी सफलता आपके आत्मविश्वास और दृढ़ता से निर्धारित होती है।
(3) आत्मविश्वास बात-चीत में बुद्धि से अधिक सहायक होता है।
(4) आत्मविश्वास है तो आप शुरू करने से पहले ही जीत चुके हो।
(5) आत्मविश्वास सफलता के लिए परम आवश्यक है, और आत्मविश्वास के लिए तैयारी जरूरी है ।
(6) बड़े काम करने के लिए आत्मविश्वास पहला अनिवार्य साधन है।
(7) जीवन में सफल होने के लिए आत्मविश्वास एक भरोसेमंद हथियार है ।
(8) भय और आत्मविश्वास के बीच का जरिया साहस है ।
(9) हर वो अनुभव जिसमें आप भय का सामना करते हैं, वो आपकी शक्ति, साहस और आत्मविश्वास को बढाता है।
(10) शब्दों में दयालुता विश्वास उत्पन्न करती है जो आत्मविश्वास का कारण बनता है, विचारों में दयालुता प्रगाढ़ता उत्पन्न करती है और बांटने में दयालुता प्रेम उत्पन्न करता है।
(11) आत्मविश्वास, आशावादिता विचारधारा का वह विश्वास है जो उपलब्धि की तरफ ले जाती है । बिना आशा और विश्वास के कुछ भी नहीं किया जा सकता है ।
(12) खुद पर भरोसा रखो । अपनी क्षमताओं पर विश्वास करो । बिना विनम्रता रूपी शक्तियों को लिए और बिना उचित आत्मविश्वास के आप सफल या प्रसन्न नहीं हो सकते हो ।
(13) नेत्रित्व का अर्थ है कि लोग आपकी प्रतिक्रिया देखकर अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकें।