How and where Bhagwan kalki has taken Avatar?
भगवान कल्कि जी ने किस प्रकार और कहाँ ले लिया अवतार ?
(ईश्वर पुत्र अरुण )
How and where Bhagwan kalki has taken Avatar?
दिनांक 2 मई 1985 ई ० को कृष्णा अवतार की तरह कलियुग में भी कल्कि जी चार भुजा में श्रेष्ठ ब्राह्मण विष्णुयश के घर लिए अवतार , लेकिन ब्रह्माजी उसी समय वायु देव को भेज कर कल्कि भगवान को यह संदेश भिजावाए कि उन्हें साधारण मनुष्य रूप में रहना है। ब्रह्माजी का संदेश पाकर कल्कि भगवान मनुष्य रूप में प्रकट हो गए । यह लीला जब उनके माता-पिता देखे तो वो हैरान हो गए । उन्हें ऐसा लगा कि किसी भ्रमवश उन्होंने अपने पुत्र को चार भुजा में देखा था। ( Kalki Comes in 1985, तृतीय अध्याय तथा कल्कि पुराण 1;2 ;18-21 )
धर्मग्रन्थ के अनुसार भगवान कल्कि उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में श्रेष्ठ ब्राह्मण (Group of Brahman) विष्णुयश के घर अवतार लेंगे । उत्तर भारत में दो शम्भल ग्राम है - एक मुरादाबाद में तथा दूसरा मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) । मुरादाबाद शम्भल में 98 % मुस्लिम हैं तथा 2 % में अन्य जातियाँ निवास करती है तथा यहाँ बहुत कम ही ब्रह्मण परिवार हैं। यहाँ के अधिकतर लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और भगवान कृष्ण पूजा करने वाले लोग नहीं के बराबर हैं । अतः इस शम्भल में Group of Brahman की कल्पना ही नहीं किया जासकता है । मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ पार ब्रह्मणों की संख्या बहुत ही अधिक लोग हैं तथा यहाँ के अधिकतर लोग भगवान कृष्ण की पूजा करने वाले हैं । अतः यही शम्भल भगवान कल्कि जी का अवतार स्थान है। संक्षिप्त भविष्यपुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि मैं देवताओं के हित और दैत्यों के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा ।
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