भगवान कल्कि

भगवान कल्कि 

Lord Kalki

Lord Kalki (भगवान  कल्कि ) कब, कहाँ और कैसे अवतार लिए ?


वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान कल्कि भारत के पूण्य भूमि पर अवतार लिए । (कल्कि पुराण 1 ;  2 :15 तथा कल्कि कम्स  नाइनटीन  एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय  - 3 )  कल्कि कम्स  नाइनटीन एट्टी फाइव पुस्तक, अध्याय  - 3  के अनुसार सन 1985  में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को  उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में, विष्णु यश के घर भगवान कल्कि / Lord Kalki जी ने अवतार ग्रहण किया । सन 1985  में वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी  तिथि 2  मई  को पड़ता है (अर्थात 2 May 1985) , इस कारण  भगवान कल्कि  2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि  शम्भल ग्राम में अवतार ग्रहण किए । धर्मग्रन्थ के  अनुसार  भगवान कल्कि उत्तर भारत के शम्भल ग्राम में श्रेष्ठ ब्राह्मण (Group of  Brahman) विष्णुयश के  घर अवतार लेंगे । उत्तर भारत में दो शम्भल ग्राम है - एक मुरादाबाद में तथा दूसरा मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) । मुरादाबाद शम्भल में 98 % मुस्लिम हैं तथा 2 % में अन्य जातियाँ निवास करती है तथा यहाँ बहुत कम ही ब्रह्मण परिवार हैं। यहाँ के अधिकतर लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और भगवान कृष्ण  पूजा करने वाले लोग नहीं के बराबर हैं । अतः इस शम्भल में Group of  Brahman की कल्पना ही नहीं किया जासकता है । मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ पार  ब्रह्मणों की संख्या बहुत ही अधिक  लोग हैं तथा यहाँ के अधिकतर लोग भगवान कृष्ण की पूजा करने  वाले हैं । अतः यही शम्भल भगवान कल्कि जी का अवतार स्थान है। संक्षिप्त भविष्य पुराण 4;5:27-28 ; प्रतिसर्ग पर्व, चुतुर्थ खंड पेज नो 331 के अनुसार भगवान श्री विष्णु ने कहा कि  मैं देवताओं के हित और दैत्यों  के विनाश के लिए कलियुग में अवतार लूंगा और कलियुग में भूतल पर स्थित सूक्ष्म रमणीय दिव्य वृन्दावन में रहस्यमय एकांत - क्रीड़ा करूँगा। घोर कलियुग में सभी श्रुतियाँ गोपी के रूप में आकर रासमंडल में मेरे साथ रासक्रीड़ा करेगी। कलियुग के अंत में राधा जी के प्रार्थना को स्वीकार करके मैं रहस्यमयी क्रीड़ा  को समाप्त कर के कल्कि के रूप में अवतीर्ण होऊंगा  । धर्मशास्त्र के अनुसार भगवान कल्कि / Lord Kalki 2 May 1985 को भारत के पूण्य भूमि पर  मथुरा और वृन्दावन के बोर्डर पर (गौड़ी मठ के पास) जो शम्भल है वहाँ  पर अवतार लिए । 



कृष्णा  अवतार  की तरह  इस बार  भी  कल्कि जी चार भुजा में अवतार लिए, लेकिन ब्रह्माजी उसी समय वायु देव को भेज कर कल्कि भगवान को यह संदेश भिजावाए कि उन्हें  साधारण मनुष्य रूप में रहना है। ब्रह्माजी का संदेश पाकर कल्कि भगवान मनुष्य रूप में प्रकट हो  गए ।  यह लीला जब उनके माता-पिता देखे तो वो हैरान हो गए । उन्हें ऐसा लगा कि किसी भ्रमवश उन्होंने अपने पुत्र को चार भुजा में देखा था।

भगवान कल्कि जी के  माता - पिता कौन हैं ?


भगवान कल्कि के माता  का नाम सुमति और पिता का नाम विष्णुयश है (कल्कि पुराण)    धर्मग्रन्थों में भगवान कल्कि जी के पिता जिस विष्णुयश के बारे में भविष्यवाणी की गई है वे वास्तव में स्वयम्भू मनु के अवतार हैं । पद्म पुराण 1 ; 40 :46 ,  उत्तरखंड,  शीर्षक " रामावतार की कथा -  जन्म का प्रसंग" पेज नंबर - 949 के अनुसार नैमिषारण्य में  गोमती  किनारे तप करके भगवन विष्णु जी को प्रसन्न किए और यह वरदान मांगे कि आप तीन जन्मों तक  मेरे पुत्र के रूप में जन्म लीजिए  ।  इसलिए स्वयम्भू मनु के तीन जन्मों तक भगवान विष्णु उनके पुत्र के रूप में अवतार लिए।   उनका पहला जन्म हुआ  -  राजा दशरथ के रूप में और भगवान  विष्णु राम नाम से उनके पुत्र के रूप में जन्म लिए ।  उनका दूसरा  जन्म हुआ  - वासुदेव जी के रूप में और भगवान  विष्णु  कृष्ण  नाम से उनके पुत्र के रूप में जन्म लिए । उनका तीसरा   जन्म हुआ  - विष्णुयश  जी के रूप में और भगवान  विष्णु  कल्कि   नाम से उनके पुत्र के रूप में जन्म लिए। 

भगवान कल्कि जी के  गुरुदेव  कौन  हैं ?


Lord Kalki / भगवान कल्कि जी जन्म लेते ही वामन अवतार की तरह ही जल्दी - जल्दी बड़ा होने लगे  । उनके पिता पढने योग्य देख कर कल्कि जी का उपनयन संस्कार किए और महेन्द्र पर्वत निवासी परशुराम जी कल्कि जी को विद्याध्ययन  लिए  वाल्यावस्था में ही महेन्द्र पर्वत पर ले गए। 
Lord Kalki


वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान श्री कृष्ण  जी के जन्म के समान ही भगवान कल्कि जन्म लिए । उनका जन्म शम्भल ग्राम में हुआ । इस बार  भी  कल्किजी के चार भुजा में अवतार लिए, लेकिन ब्रह्माजी उसी समय वायु देव  को भेज कर कल्कि भगवान को यह संदेश भिजावाए कि उन्हें  साधारण मनुष्य रूप में रहना है।
ब्रह्माजी का संदेश पाकर Lord Kalki / कल्कि भगवान मनुष्य रूप में प्रकट हो  गए ।  यह लीला जब उनके माता-पिता देखे तो वो हैरान हो गए । उन्हें ऐसा लगेगा कि किसी भ्रम  वश उन्होंने अपने पुत्र को चार भुजा में देखा था।
सम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म हुआ । उनके माता का नाम सुमति है। 
उनकी योजना यह है कि  वे चारो भाई मिलकर कली का नाश करेंगे। उनके भाइयों  का नाम क्रमशः -  कवि, प्राज्ञ और सुमन्त्रक होंगे, जो पहले ही उनके वंश में जन्म ले चुके । उनकी प्रिय लक्ष्मी जी सिंहल देश में बृहद्रथ की पत्नी कौमदी के गर्भ से पद्मा नाम से जन्म लेगी। मरू और देवापि नमक दो राजाओं को भी पृथ्वी  पर स्थापित करेंगे क्योंकि दोनों राजा संसार  की रक्षा और पालन करने के लिए सूर्य, चन्द्र, इन्द्र और कुबेर के अंश से अवतार लिए हैं।   देवता लोग भी अपने - अपने अंश से पृथ्वी पर अवतार लेंगे। (कल्कि पुराण 1 ;2 :7 तथा 3 ;4 ;34 )

Lord Kalki / कल्कि जी प्रारंभिक शिक्षा के लिए  गुरुकुल में जब जाने लगे तो उसी समय  महेंद्र पर्वत निवासी परशुराम उन्हें अपने साथ आश्रम में ले आए । भगवान कल्कि महेंद्र पर्वत पर परशुराम जी के साथ रहकर विद्याध्ययन किए। 

विद्याध्ययन समाप्त करने के बाद गुरु परशुराम जी उनसे दक्षिणा में निम्नलिखित चीज मांगे - मुझसे विद्या, शिव जी से अस्त्र और वेदज्ञ शुक तथा सिंहल देश से अपनी पत्नी पद्म पाकर आप पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे।   

वे देवदत्त नाम के घोड़े पर सवार होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा। जिस समय सूर्य, बृस्पति और चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में परवेश कर एक राशि कर्क राशि में आए उसी दिन सत्य युग का प्रारम्भ होगया। ऐसा समय निर्धारित  तिथि 26  जुलाई 2014 ही है।    

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