3 अक्टूबर 2016 को ईश्वर पुत्र अरुण जी ने सभा को संबोधित किया और बताया कि धर्मराज युधिष्ठिर ने 9 पाप किये थे

3 अक्टूबर 2016 को , स्थान: सामुदायिक भवन रोहिणी सेक्टर - 5 (रिठाला मेट्रो स्टेशन के नजदीक) ईश्वर पुत्र अरुण जी के सानिध्य में भव्य प्रकाश का त्यौहार मनाया गया और वेद, गीता, बाइबल, कुरान तथा गुरुग्रंथ साहिब से केवल एक वेद का उपदेश किया गया।
ईश्वर पुत्र आदिश्री अरुण जी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि - द्वापर युग तथा इस कलियुग में भी सभी लोग यही जानते हैं कि युधिष्ठिर ने अपने जीवन काल में केवल एक ही पाप किया था । आज भी लोग उन्हें धर्मराज युधिष्ठिर नाम से पुकारते हैं। वह एक पाप क्या था ? उसने अपने गुरुदेव से झूठ बोला था कि अश्वत्थामा  मारा गया । यह सत्य नहीं है । धर्मराज युधिष्ठिर ने 9 पाप किये थे जिसके चलते उन्हें नरक लोक का दर्शन मिला था । आप कितने दूध के धोए हैं जरा इस बात पर गौर फरमाइए और सोचिए कि  आपको मोक्ष मिलेगा या नर्क ???  
 धर्मराज युधिष्ठिर ने निम्नलिखित 9 पाप किया  था :
(1) युधिष्ठिर ने झूठ बोला था कि अश्वत्थामा मारा गया जबकि अश्वत्थामा नाम का कुंजर (हाथी) मारा गया था ।
(2) युधिष्ठिर ने अपने छोटे भाई (अनुज) की पत्नी को अपना पत्नी बनाया 
(3) अपने माँ के कहने पर अपने छोटे भाई (अनुज) की पत्नी को अपना पत्नी बनाया जबकि वह चाहता तो  अपनी माँ को समझा  सकता था कि यह धर्म संगत नहीं है क्योंकि अनुज की पत्नी पुत्री के समान होती है । लेकिन उसने ऐसा नहीं किया बल्कि उसने अवसर का फायदा उठाया और द्रोपदी को अपना पत्नी बनाया क्योंकि वह द्रोपदी से प्यार करता था । 
(4) स्वयंवर में द्रोपदी को देखते ही युधिष्ठिर मन ही मन द्रोपदी से प्यार करने लगा था लेकिन वह स्वयंवर नहीं जीत सकता था । अर्जुन जब स्वयंवर जीत लिया तब उसे  अर्जुन से जलन होने लगा था और  जलना  बहुत बड़ा पाप है। 
(5)  स्वयंवर में द्रोपदी को अर्जुन ने जीता था इसलिए सबसे पहले द्रोपदी को अर्जुन की पत्नी बनना चाहिए था । लेकिन युधिष्ठिर ने बड़े भाई होने का हक जमाते हुए द्रोपदी को सबसे पहले अर्जुन की जगह अपना पत्नी बनाया। 
(6) जब अर्जुन द्रोपदी को लेकर घर आया तब युधिष्ठिर ने यह नियम बनाया कि द्रोपदी एक शाल के लिए सब भाई की पत्नी बनेगी तथा बड़ा होने के नाते सबसे पहले वह युधिष्ठिर की पत्नी बनेगी । इस प्रकार युधिष्ठिर ने द्रोपदी पर सबसे पहले पत्नी होने का हक जमाया और  वह पांचवा पाप किया  ।
(7) युधिष्ठिर ने यह भी नियम बनाया कि द्रोपदी एक शाल के लिए सभी भाई की पत्नी बनेगी  और यदि दूसरा भाई उसके शयन कक्ष में चला गया तो उसके हिस्से का एक वर्ष के लिए बड़ा भाई  युधिष्ठिर की पत्नी बनेगी। अर्जुन युधिष्ठिर के शयन कक्ष में  गया भी नहीं था बल्कि वार्तालाप कक्ष में कुछ आवश्यक बात करने के लिए गया था लेकिन इस बात के लिए भी उसने अर्जुन को दंड दिया और फिर एक और शाल के लिए युधिष्ठिर ने द्रोपदी को अपना पत्नी बनाया ।
(8) जब अर्जुन कि बारी आई  कि वह द्रोपदी को अपना पत्नी बनाता तब उस समय युधिष्ठिर ने अर्जुन को दिव्यास्त्र लेने के लिए स्वर्ग लोक भेज दिया तथा एक शाल और द्रोपदी को अपना पत्नी बनाया । 
(9) युधिष्ठिर, सेनापति इत्यादि सब मिल कर घटोत्कक्ष  से कहा कि चुकि  तुम रक्ष हो इसलिए इस लिए तुम्हें धर्म और अधर्म से कोई मतलब नहीं है। तुम्हारे ऊपर धर्म नियम लागू नहीं होता है । इस लिए तुम कौरव सेना पर दिन के अलावे रात में भी हमला कर सकते हो । घटोत्कक्ष ने दिन - रात कौरव सेना पर हमला किया। वह कौरव सेना को इतना बड़ा क्षति पहुंचाया कि दुर्योधन ने कर्ण को वह अमोघ अश्त्र चलाने के लिए विवश कर दिया जो अश्त्र वह अर्जुन को मारने के लिए रख रखा था।        

Post a Comment

और नया पुराने