गीता अध्याय 1 का सार


गीता अध्याय 1 का सार - ईश्वर पुत्र अरुण

गीता अध्याय 1 परिचय करवाता है युद्ध के मैदान के दृश्य से, युद्ध लड़े जाने की प्रक्रिया से, परिस्थितयों से तथा उन पात्रों से जो किसी निश्चित कारणों से युद्ध लड़ने के लिए कुरुक्षेत्र युद्ध के मैदान में उपस्थित हैं। गीता अध्याय 1 परिचय करवाता है युद्ध के मैदान में युद्ध लड़े जाने के लिए योजनाबद्ध तरीकों से क्योंकि परिस्थिति की मांग है युद्ध।
इस युद्ध के मुख्य पात्र हैं भगवन कृष्ण और अर्जुन, 18 अक्षौहिणी सेना तथा उनके कमांडर (एक अक्षौहिणी में 21, 870 रथ , 21, 870 हाथी , 65, 610 घोड़े तथा 109, 350 पैदल सेना )

गीता अध्याय 1 परिचय करवाता है अर्जुन के अंदर बढ़ती हुई निराशा के दृश्यों से तथा उन दृश्यों से भी जिसमें सामिल हैं अपने स्वजन, सगा - संबंधी, चाचा - ताऊ, दादा - परदादा, ससुर, मामा, पौत्र, साले एवं गुरुजन जो अपने - अपने जीवन की आशा को छोड़कर युद्ध के लिए उपस्थित हैं । गीता अध्याय 1 परिचय करवाता है अर्जुन के विलापी युद्ध से और अर्जुन के मत के अनुसार युद्ध के परिणाम स्वरुप उत्पन्न पाप से ।

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