ईश्वर में विश्वास

आप ईश्वर में विश्वास तब तक नहीं कर पाएंगे जब तक आप  अपने आप में विश्वास नहीं करते विश्वास का विकास आपको अपने भीतर से ही करना होता है। विश्वास तो किसी पेड़ में फलते हैं कि आप उसे  पेड़ से तोड़कर ले आएँगे और किसी दूकान में बिकती है  कि आप उसे खरीदकर लेआएँगे। विश्वास  उत्पन्न होने के लिए आवश्यक है नजदीकियाँ ईश्वर और आपके बीच जितनी  अधिक नजदीकियाँ  बढ़ेगी आपके अंदर ईश्वर में उतना ही अधिक विश्वास बढ़ेगा। आपके दिल के अंदर  कोई विश्वास डाल नहीं देगा और आपको कोई विश्वास करना सीखा देगा यह तो दिल की उपज है। आप कितना भी कोशिशें कर लीजिए आपको कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। आपको सिखाने वाला कोई और नहीं बल्कि  सिर्फ आपकी आत्मा ही है। ब्रह्माण्ड की  सारी शक्तियाँ पहले से ही आपकी है। वह आप ही हैं जो अपने आँखों पर पट्टी बाँध लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है ? मेरा परामर्श यह वयान करता  है कि  ईश्वर  ने आपके मष्तिष्क और व्यक्तित्व में  असीमित  शक्तियां और क्षमताएं दी हैं। इन शक्तियों को विकसित करने  के लिए आपको ईश्वर की  प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि ईश्वर इन शक्तियों को विकसित करने  में आपकी मदद  करते हैं। ईश्वर ने मनुष्य को अपने समान बनाया लेकिन यह दुर्भाग्य है कि मनुष्य ने  भगवान को हर हमेशा अपने अनुसार बनाने की कोशिशों में जुटा रहा   जिंदगी एक परीक्षा है ज्यादातर लोग इसमें असफल हो जाते है क्योंकि वे दूसरों की नक़ल करते हैं वे यह नहीं समझ पाते कि सबके प्रश्नपत्र अलग-अलग होते हैं - आदिश्री अरुण   

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