मनुष्य
का दिमाग
विचारों का
निर्माण करने
वाली एक
फैक्ट्री है। इसमें
हर वक्त कोई
ना कोई
विचार (thought)
बनती रहती है
। इस काम
को करने के
लिए हमारे पास दो बड़े आज्ञाकारी सेवक हैं
जो अपने काम में बड़ा
माहिर हैं।
पहले सेवक का नाम है
- विजय
और दुसरे सेवक का नाम है
- पराजय।
विजय का
काम है
आपके आदेशानुसार आशावादी या पोजीटिव
सोच (Positive thoughts) का निर्माण
करना।
पराजय का
काम है
आपके आदेशानुसार निराशावादी या निगेटिव
सोच (Negative thoughts) का निर्माण
करना।
दोनों
सेवक अपने काम
में इतने निपुण
हैं कि ये
आपके इशारे के
तुरंत समझ जाते
हैं और बिना
वक़्त गवाएं अपना
काम शुरू कर
देते हैं।
सेवक
विजय इस बात
को बताने में
तर्क (Logic) के आधार
पर निर्णय देते
हैं कि आप
क्यों सफल हो
सकते हैं?
सेवक
पराजय इस बात
को बताने में
तर्क (Logic) के आधार
पर निर्णय देते
हैं कि आप क्यों
असफल हो सकते
हैं?
जब आप सोचते हैं कि
मेरी जिंदगी क्यों
अच्छी है तो
तुरंत सेवक
विजय इस बात
को सही साबित करने
के लिए आपके
दिमाग में आशावादी
या पोजीटिव सोच
(Positive thoughts) उत्पन्न
(Produce) करने लगते है,
जो आपके अब
तक के जीवन
के अनुभवों से
निकल कर आती
है। जैसे
- मेरे पास
इतना अच्छा परिवार है।
मुझे चाहने वाले कितने सारे अच्छे लोग हैं
। मैं वेल सेटल्ड हूँ,
आर्थिक रूप से इतना सक्षम हूँ
कि खुश रह
सकूँ । मैं
जो करना चाहता हूँ
वो कर पा
रहा हूँ इत्यादि
- इत्यादि ।
इसके विपरीत जब आप
सोचते हैं कि
मेरी जिंदगी क्यों
अच्छी नहीं है, तो
तुरंत सेवक
पराजय इस बात
को सही साबित करने
के लिए आपके
दिमाग में निराशावादी या निगेटिव
सोच (Negative thoughts) उत्पन्न (produce) करने
लगते है
। जैसे - मैं
अपनी जिंदगी
में अभी तक
कुछ खास
अर्जित (Achieve) नहीं
कर पाया। मेरी
नौकरी मेरी
काबलियत के
मुताबिक़ नहीं है
।मेरे साथ हमेशा बुरा ही
होता है
इत्यादि - इत्यादि
।
ये
दोनों सेवक जी
जान से आपकी बातों
का समर्थन करते हैं
। अब ये आपके
ऊपर निर्भर करता है
कि आप इसमें से किसकी सर्विस
(services ) लेना चाहते हैं
? इतना याद रखिये
कि इनमें से आप
जिसको ज्यादा काम
देंगे वो उतना
ही मजबूत होता
जायेगा और एक
दिन वो इस
फैक्ट्री पर अपना
कब्जा कर लेगा
और धीरे-धीरे
दुसरे सेवक को
बिलकुल निकम्मा कर देगा
। अब आपको फैसला करना है
कि आप किसका
कब्जा चाहते हैं
? कब्जा विजय
का या कब्जा
पराजय का ?
यदि जीवन में तरक्की करना चाहते हैं तो जितना अधिक हो सके विचार उपन्न (thoughts produce) करने का काम सेवक विजय को ही दीजिये। यानि कि हमेशा आशावादी या पोजीटिव सोच वाली बात कीजिये, नहीं तो अपने आप ही सेवक पराजय अपना अधिकार जमा लेंगे।