गरिमा के प्रश्न और आदि श्री का जबाब


 गरिमा : आदि श्री अरुण के चरणों में कोटि - कोटि प्रणाम स्वीकार हो। मैं हमेशा परमेश्वर के आश्रय में रहती हूँ फिर भी मेरे जीवन में तूफान और कठिनाइयाँ  आती ही रहती है। आदि श्री जी मेरा मार्ग दर्शन कीजिए। 


आदि श्री अरुण: जिस रास्ते पर चलने से समस्या नहीं आये वह चलने वाला रास्ता गलत है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में तूफान  और कठिनाइयाँ आती है और तुम्हारे भी जीवन में  तूफान और कठिनाइयाँ आएगी। इसका यह मतलब नहीं है कि तुम निराश हो जाओ। तुम  सोचती हो  कि मैं अकेली  हूँ परन्तु यह याद रखो कि तुम अकेली  नहीं हो और परमेश्वर तुम्हें कभी भी अकेला नहीं छोड़ेंगे - यही सत्य है । जब तुम्हारे जीवन में तूफान और कठिनाइयां आती है तो  कभी - कभी  परमेश्वर शांत हो जाते हैं और उचित समय का इन्तजार करते हैं। परन्तु दूसरी ओर वे एक लंगर की तरह  कार्य करते हैं ताकि तुम कठिनियाँ और दुःख के तूफान  में डूब  न जाओ । इस तूफानी दुःख के घड़ी  में परमेश्वर अपने आपको तुम्हारे लिए आश्रय बन जाते हैं ताकि तुम दुःख के तूफान और कठिनियाँ में भी सुरक्षित रह सको। 

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