हे धरती पर रहने वाले लोगों ! पहले स्वयं संपूर्ण मुक्तावस्था प्राप्त कर लो, उसके बाद इच्छा करने पर फिर अपने को सीमाबद्ध कर सकते हो। प्रत्येक कार्य में अपनी समस्त शक्ति का प्रयोग करो। मन का विकास करो और उसका संयम करो, उसके बाद जहाँ इच्छा हो, वहाँ इसका प्रयोग करो – उससे अति शीघ्र फल की प्राप्ति होगी। यह है सही माने में आत्मोन्नति का उपाय। एकाग्रता सीखो, और जिस ओर इच्छा हो, उसका प्रयोग करो। ऐसा करने पर तुम्हें कुछ खोना नहीं पड़ेगा। जो समस्त को प्राप्त करता है, वह अंश को भी प्राप्त कर सकता है। जो मनुष्य इसी जन्म में मुक्ति प्राप्त करना चाहता है, उसे एक ही जन्म में हजारों वर्ष का काम करना पड़ेगा। जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो – उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी आश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘बुद्धिमान’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है, और उन्हें बहा ले जाती है, तो उन्हें बहा ले जाने दो – वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना ही अच्छा है। जो महापुरुष प्रचार-कार्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, वे उन महापुरुषों की तुलना में अत्यन्त श्रेष्ठ हैं, जो मौन रहकर पवित्र जीवनयापन करते हैं । जो श्रेष्ठ विचारों का चिन्तन करते हुए जगत् की सहायता करते हैं और उद्धार पा लेने के लिए लोगों को जागृत करते हैं वह सभी आत्माओं में श्रेष्ठ आत्मा है।
कल्कि जयन्ती के शुभ अवसर पर ईश्वर पुत्र अरुण का सन्देश
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