क्या आप आनंदमय एवं शंतिपूर्ण जीवन व्यतीतकरना चाहते हैं ?



संसार दुखों का बाजार है और इस बाजार में केवल दुःख रूप सौदा ही मिलता है । दुखों के बाजार  में सुख का सौदा मुर्ख लोग खोजा  करते हैं । सुख का बाजार तो परमेश्वर के निज धाम में लगा करते हैं और परमेश्वर के निज धाम में जाने के लिए केवल एक मात्र मार्ग सूरत शब्द योग ही है  । केवल इसी मार्ग पर चल कर आप  सुख की कल्पना कर सकते हैं । 
आप सुमिरन और ध्यान भी करते हो तथा गुरु जी के बहुत करीब भी हो फिर भी यदि आप बहुत पड़ेशान रहते हैं और आप बहुत विमार रहते हैं तो इसका मतलब यह है कि यह पड़ेशानी तुम्हारे प्रेम को परखने के लिए आया है । (धर्मशास्त्र, २ कुरिन्थियों ८:८) सच्चाई यह है कि सारी समस्याएं प्रेम को परखने के लिए ही आती है । इसलिए तुम अपने प्रेम का प्रमाण दो। आप सावधान रहो ताकि आप पर दोष न लगाया जाय । परमेशर ने याकूब और इब्राहिम को चुना और उसको बुला कर कहा की  मैं तुमको चुना है तजा नहीं ।  (धर्मशास्त्र, यशायाह ४१:८) फिर भी ये लोग परखे गए और दुःख उठाए परन्तु इब्राहिम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, परमेश्वर की  प्रतीति की और यह उसके लिए धर्म गिना गया तथा वह परमेश्वर का मित्र कहलाया । (धर्मशास्त्र, याकूब २ : २३) इब्राहिम निराशा में भी आशा रखा और विश्वास में दृढ होकर परमेश्वर की महिमा की  ।  इब्राहिम को पुत्र नहीं था और परमेश्वर ने बुढ़ापा में उसे पुत्र दिया । और उसने यह निश्चय जाना कि जिस बात की  परमेश्वर ने प्रतिज्ञा किया  है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थ्य रखता है  । (धर्मशास्त्र,रोमियों ४:२०-२१) इसलिए जैसे हर बात में विश्वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्न में और जो प्रेम हम उसमें रखते हैं, उसी में बढ़ते जाओ  । केवल परमेश्वर से ही धन प्राप्त होता है  । परमेश्वर ही तुम्हारी हर घटी को पूरा करेगा । (धर्मशास्त्र, फिलिप्पियों  ४:१९ ) ऐसा करने से आपका जीवन अवश्य ही आनंदमय एवं शंतिपूर्ण बीतेगा ।   

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