ईश्वर अनन्त सामर्थ्य से युक्त हैं । ईश्वर अनन्त शक्ति के भण्डार हैं । ईश्वर आपके आँशुओ को पोछने के लिए तैयार हैं। ईश्वर आपके दुखों को मिटाने के लिए तैयार हैं। ईश्वर आपके परेशानियों को मिटाने के लिए तैयार हैं। ईश्वर आपको सब बिमारियों से बचाने के लिए तैयार हैं। ईश्वर ने आपको परेशानियों में जीवन बिताने के लिए नहीं रचा बल्कि उन्होंने बहुत सारी चीज़ इसलिए रचा ताकि वह वस्तु आपको मिले और आप सुख से रहें।
जैसे ही ईश्वर ने देखा कि मनुष्य को दुःख, तकलीफ, परेशानी एवं रोने की वादियों से गुजरना पर रहा है वैसे ही वे मनुष्य को दुःख एवं परेशानी से बचाने के लिए अवतार लेकर धरती पर आए । इसलिए आप किसी बात की चिंता नहीं कीजिए परन्तु हर एक बात में आपका निवेदन, प्रार्थना एवं बिनती धन्यवाद के साथ उपस्थित किए जाएँ। तब ईश्वर आपके प्रार्थना को सुनेंगे और आपकी हर मनोकामनाएं पूरी होगी ।
धर्मशास्त्र, योएल २ : २१ में ईश्वर ने कहा कि तू डर मत ; तू मगन हो और आनन्द कर क्योंकि ईश्वर ने बड़े - बड़े काम किए हैं। धर्मशास्त्र, यशायाह ४१ :१३ में ईश्वर ने कहा कि मैं तेरा परमेश्वर, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा।
धर्मशास्त्र, रोमियों १५:१३ में ईश्वर ने कहा कि ईश्वर जो आशा का दाता है, तुम्हें उनके उपर विश्वास करने पर ही वे तुम्हें सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से पूर्ण करेंगे ।
धर्मशास्त्र, इफिसियों ३:२० में यह कहा गया है कि अब जो ऐसा सामर्थी है वह हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक् काम कर सकता है।
धर्मशास्त्र, यहेजकेल ३४ : २६ में ईश्वर ने कहा कि मैं उन्हें और अपनी पहाड़ी के आस - पास के स्थानों को आशीष का कारण बना दूंगा, और मेंह को मैं ठीक समय में बरसाया करूंगा और वे आशीष की वर्षा होगी।
धर्मशास्त्र, भजन संहिता ८१ :१० में ईश्वर ने कहा कि तू अपना मुँह पसार, मैं उसे भर दूंगा।
धर्मशास्त्र, यशायाह ४१ :१८ में ईश्वर ने कहा कि मैं मुण्डे टीलों से भी नदियाँ और मैदानों के बीच में सोते बहाऊँगा। धर्मशास्त्र, यशायाह ४४ :३ में ईश्वर ने कहा कि मैं प्यासी भूमि पर जल और सुखी भूमि पर धाराएँ बहाऊंगा।
धर्मशास्त्र, योएल २ : २३ में ईश्वर ने कहा कि तुम अपने परमेश्वर के कारण मगन हो और आनन्द करो, क्योंकि तुम्हारे लिए वह वर्षा बरसात की पहली वर्षा बहुतायत से देगा और पहले के समान अगली और पिछली वर्षा को भी बरसायेगा।
धर्मशास्त्र, यशायाह ४१ :१८ में ईश्वर ने कहा कि मैं मुण्डे टीलों से भी नदियाँ और मैदानों के बीच में सोते बहाऊँगा। धर्मशास्त्र, यशायाह ४४ :३ में ईश्वर ने कहा कि मैं प्यासी भूमि पर जल और सुखी भूमि पर धाराएँ बहाऊंगा।
धर्मशास्त्र, योएल २ : २३ में ईश्वर ने कहा कि तुम अपने परमेश्वर के कारण मगन हो और आनन्द करो, क्योंकि तुम्हारे लिए वह वर्षा बरसात की पहली वर्षा बहुतायत से देगा और पहले के समान अगली और पिछली वर्षा को भी बरसायेगा।