कलियुग में लोगों का उद्धार न तो राम नाम से होगा और न कृष्ण नाम से। द्वापर युग में भगवान कृष्ण पृथ्वी का परित्याग करने से पहले कहे कि - " आज से सातवें दिन नई द्वारिका पानी में डूब जायगा।जिस क्षण मैं मर्त्य लोक का परित्याग कर दूंगा उसी क्षण इसके सारे मंगल नष्ट हो जायेंगे और थोड़े ही दिनों में पृथवी पर कलियुग का बोलबाला हो जायेगा। जब मैं पृथ्वी का त्याग कर दूँ तब तुम इस पर मत रहना क्योंकि कलियुग में अधिकांश लोगों की रूचि अधर्म में ही होगा।" (श्रीमद भागवतम महा पुराण ११;७:४-५ )
जब अर्जुन गोपियों को लेकर नई द्वारिका छोर कर जारहे थे तब रास्ते में साधारण भील ने गोपियों को लूट लिया और अर्जुन कुछ भी नहीं कर सका। यही अर्जुन महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र के मैदान में बड़े - बड़े वीर योद्धाओं को नष्ट नावूद कर दिया था और सबको पशीना छुड़ा दिया था ; वही अर्जुन आज साधारण भील से गोपियों की रक्षा नहीं कर सका। भील के साथ युद्ध में अर्जुन के पास वही अस्त्र और वही गांडीव धनुष था जो महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन के पास अस्त्र और गांडीव धनुष था फर्क केवल इतना ही था कि महाभारत युद्ध के समय कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ थे और भील के साथ युद्ध में भगवान कृष्ण अर्जुन के साथ नहीं थे। वे पृथ्वी का परित्याग करके परम धाम को वापस लौट चुके थे।
जरा सोचिए कि अर्जुन भगवान कृष्ण के बहुत ही निकटम व्यक्ति थे जिनका रथ भगवान कृष्ण ने स्वयं खिंचा था, उन्होंने अर्जुन को विश्वरूप दिखाया तथा गीता का ज्ञान भी दिया; उसको जब भगवान कृष्ण ने भील के साथ युद्ध के समय मदद नहीं किए तो आपको भगवान कृष्ण नाम से क्या मदद मिलेगा और भगवान कृष्ण नाम से आपको कैसे उद्धार प्राप्त होगा ?
अब सबल यह उठता है कि कलियुग में आपके कष्ट किस नाम से दूर होंगे और इस कलियुग में भगवान के किस नाम से आपका उद्धार होगा ? महर्षि वेद व्यास जी, जो चार वेद और १८ महा पुराणों के रचैता हैं, उन्होंने श्रीमद भागवतम महा पुराण १२;३:५२ में कहा कि - "सत्ययुग में भगवान का ध्यान करने से, त्रेता में बड़े - बड़े यज्ञों के द्वारा उनकी आराधना करने से और द्वापर में विधि पूर्वक उनकी पूजा-सेवा से जो फल मिलता है वह फल कलियुग में केवल भगवान नाम का कीर्तन करने से ही प्राप्त हो जाता है। "
पद्म पुराण, पाताल खण्ड, शीर्षक "नाम कीर्तन की महिमा, भगवान के चरण चिन्हों का परिचय तथा प्रत्येक मास में भगवान की विशेष आराधना का वर्णन" पेज नo ५६५ में पार्वती जी ने पूछा - कृपानिधि ! विषय रूपी ग्राहों से भरे हुए भयंकर कलियुग के आने पर संसार के सभी मनुष्य पुत्र, स्त्री और धन आदि की चिंता से व्याकुल रहेंगे। ऐसी दशा में उनके उद्धार का क्या उपाय है ? महादेव जी ने कहा - देवी ! कलियुग में केवल हरि नाम ही संसार समुद्र से पार लगाने वाला है। "
श्री नरसिंह पुराण अध्याय ५४, पेज नo २३९ में सूत जी ने कहा - "सत्य युग में ध्यान, त्रेता में यज्ञों द्वारा यजन और द्वापर में पूजन से जो फल मिलता है उसे ही कलियुग में केवल भगवान का कीर्तन करने से मनुष्य प्राप्त कर लेता है। "
तो अब आप जानिए अर्थात खोज कीजिए कि कलियुग में श्री हरि व भगवान कल्कि का क्या नाम है ? उनका नाम जान कर श्री हरि व भगवान कल्कि का केवल कीर्तन कीजिए तो आपका उद्धार निश्चित ही हो जायेगा।
तथास्तु ! अर्थात ऐसा ही हो।
श्री नरसिंह पुराण अध्याय ५४, पेज नo २३९ में सूत जी ने कहा - "सत्य युग में ध्यान, त्रेता में यज्ञों द्वारा यजन और द्वापर में पूजन से जो फल मिलता है उसे ही कलियुग में केवल भगवान का कीर्तन करने से मनुष्य प्राप्त कर लेता है। "
तो अब आप जानिए अर्थात खोज कीजिए कि कलियुग में श्री हरि व भगवान कल्कि का क्या नाम है ? उनका नाम जान कर श्री हरि व भगवान कल्कि का केवल कीर्तन कीजिए तो आपका उद्धार निश्चित ही हो जायेगा।
तथास्तु ! अर्थात ऐसा ही हो।