परमेश्वर कौन हैं और वे क्या कहना चाहते हैं ?


सृष्टि के आदि में केवल एक मात्र पूर्ण ब्रह्म ही थे जो प्रकाशित हो रहे थे।  उस समय किसी भी चीजों की सृष्टि नहीं हुई थी। न दृश्य था और न द्रष्टा। न पृथ्वी बनी थी, न स्वर्ग और न आकाश। किसी भी चीजों की रचना नहीं हुई थी। पूर्ण ब्रह्म की इच्छा हुई की हम देखें और वे तीन भागों में विभक्त  हो गए - 
(१) जड़ प्रकृति /  महा विष्णु (Lower Energy) (२) चेतन  प्रकृति / गर्भोदकसाईविष्णु  (Higher Energy) (3) परमेश्वर / पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु   (Super Soul)
अर्थात पूर्ण ब्रह्म का पुत्र कौन हुआ ? परमेश्वर / पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु   (Super Soul) जिसके बारे में धर्मशात्र, कुलिसियों १ : १५ में कहा  गया है कि वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और साड़ी सृष्टि में पहिलौठा है और  धर्मशात्र, यूहन्ना १० : ३० में कहा कि मैं  और पिता एक हैं। 
जड़ प्रकृति /  महा विष्णु (Lower Energy) और चेतन  प्रकृति / गर्भोदकसाईविष्णु  (Higher Energy) एक विंदू पर मिलते ही बिग - बैंग विस्फोट हुआ जिससे समय, सुनहरे लाल रंग का प्रकाश और अंतरिक्ष प्रकट हुआ और परमेश्वर / पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु   (Super Soul) ने अपने रूप को मनुष्य रूप में ट्रांसफर किया।  यही पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु   (Super Soul) ने पाँच ब्रह्म - (१) सत लोक  (२) सोऽहं ब्रह्म (३) रा रम ब्रह्म (४) माया ब्रह्म और (५) ॐ ब्रह्म को पार  कर मनुष्य शरीर में प्रवेश किया।
इसी पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु ने  अपने  कर्म के अनुसार प्रकृति के गुण सतगुण  से विष्णु, रजो गुण से ब्रह्मा तथा तमो गुण से शंकर जी को उतपन्न किया। इसलिए  ब्रह्मा,  विष्णु और शंकर जी माता प्रकृति के सन्तान हैं। अतः  ब्रह्मा,  विष्णु और शंकर जी जन्म भी लेते हैं और इनकी मृत्यु भी होती है। (श्रीमद देवी भागवत,स्कंध - ३ पेज० न ० १२३)   ये ब्रह्मा,  विष्णु और शंकर जी  पूर्ण ब्रह्म के बारे में A B C भी नहीं जानते हैं।    ये विष्णु जी तो केवल प्रकृति की ही पूजा करते हैं। ब्रह्मा जी ने विष्णु ही से पूछे कि प्रभो ! आप देवताओं के अध्यक्ष, जगत के स्वामी और भूत, भविष्य एवं वर्तमान  - सभी जीवों के एक मात्र शासक हैं ; फिर आप क्यों तपस्या कर रहे हैं और आप किस देवता की आराधना में मग्न हैं ? मुझे असीम आश्चर्य तो यह हो रहा है कि देवेश्वर एवं सारे संसार के शासक होते हुए भी समाधि लगाये बैठे हैं।   (श्रीमद देवी भागवत,स्कंध - १  पेज० न ० २८) विष्णु जी बोले कि मुझे सब प्रकार से शक्ति के अधीन होकर रहना पड़ता है। उन्हीं शक्ति का मैं ध्यान किया करता हूँ। ब्रह्मा जी ! मेरी जानकारी में इन भगवती शक्ति से बढ़ कर दूसरा कोई देवता नहीं है।    (श्रीमद देवी भागवत,स्कंध - १  पेज० न ० २९)
वास्तव में केवल पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु जी ही अविनाशी हैं और  ये ब्रह्मा,  विष्णु और शंकर जी जन्म भी लेते हैं और इनकी मृत्यु भी होती है। यदि कोई इन तीनों में से किसी भी देव की पूजा करेगा तो उसका भी जन्म होगा और  उसकी भी मृत्यु  होगी।
 यही पहिलौठा / क्षीरदाकोसाई विष्णु   (Super Soul) ने कहा कि - हे कष्ट में परे लोगों ! जब मैंने तुम्हें बुलाया तब तुमने नहीं बोला और जब मैंने तुमसे बातें की तब तुमने मेरी न सुनी परन्तु जो मेरी दृष्टि में बुरा था वही  तुम करते रहे और जिससे मैं अप्रसन्न होता था उसी को तुमने अपनाया (धर्मशात्र, यशायाह ६६:४)
तूने परमेश्वर का कहना नहीं माना इसलिए परमेश्वर ने तुम्हारी सुधि नहीं ली।  जो कोई भेरों की तरह भटक गए और तुममें से हर एक ने अपना - अपना अलग मार्ग पकड़ा तब  क्षीरदाकोसाई विष्णु  ने तुम्हारे अधर्म का बोझ तुम्हीं पर लाड दिया।  (धर्मशात्र, यशायाह ५३ :६) परमेश्वर क्या चाहते हैं क्या तुम जानते हो ? परमेश्वर यह चाहता है कि तुम परमेश्वर का भय मनो। उसके सारे मार्गों पर चलो। उससे प्रेम रखो और अपने पुरे मन से उसकी सेवा करो।  (धर्मशात्र, व्यवस्थाविवरण  १० :१२) लेकिन तुम्हारे अन्दर परमेश्वर का भय नहीं रहा। तुम परमेश्वर के मार्ग पर नहीं चले। तूने परमेश्वर से प्रेम नहीं रखा। तुमने पुरे मन से परमेश्वर की सेवा नहीं की। इसलिए परमेश्वर ने तुम्हें छोर दिया और टूटे डाल की तरह तुम मुरझा गए। परमेश्वर दाखलता हैं और तुम डालियाँ हो। जो व्यक्ति परमेश्वर में बना रहता है और परमेश्वर उसमें तो वह हरा - भरा रहेगा और वह बहुत फल लाएगा । यदि कोई परमेश्वर में बना न रहे तो वह सुख जायेगा और लोग उन्हें बटोर कर आग में झोंक देंगे। (धर्मशात्र, यूहन्ना १५ : ५-६)  परमेश्वर ने कहा कि  तुम अपनी दुर्दशा के लिए तुम खुद जिम्मेदार हो। तुमने परमेश्वर का  कहना नहीं माना।  तुम्हारा यही पाप तुमको परमेश्वर से अलग कर दिया।  परमेश्वर ने कहा  कि मैंने तुम्हें पुकारा पर तुमने नहीं बोला, मैंने तुम्हें आवाज दी पर तुमने कोई जबाब नहीं दिया। मैंने तुम्हारे उपर  काम सौंपा पर तुम ठुकरा कर चले गए। मैंने तुम्हे समझाया पर तुम नहीं माने । मैंने तुम्हें मार्ग दिखलाया पर तुमने अपना अलग मार्ग लिया।
परमेश्वर ने कहा कि मैंने तुमको यह आज्ञा दी कि मेरे वचन को मानो तब मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँगा और तुम मेरी प्रजा ठहरोगे ।  जिस मार्ग की तुम्हें आज्ञा दूँ  उसी में चलो तब तुम्हारा भला होगा। (धर्मशात्र, यिर्मियाह  ७:२३)
परमेश्वर ने कहा कि मेरी सुनो और जितनी आज्ञाएँ मैं तुम्हें देता हूँ उन सबका पालन करो।  इससे तुम मेरी प्रजा ठहरोगे और मैं तेरा परमेश्वर ठहरूँगा। (धर्मशात्र, यिर्मियाह ११ :४)

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