भक्ति के साधन

                                                                           ईश्वर पुत्र अरुण 
परमेश्वर ने गीता ११:५४ में कहा कि अनन्य भक्ति के द्वारा मुझको प्रत्यक्ष देखना संभव है; परन्तु प्रश्न यह उठता है कि अनन्य भक्ति के साधन क्या हैं  ?
अनन्य भक्ति के 6 साधन हैं :-
(1) प्रार्थना (2) पूजा (3) स्तुति (4) कीर्तन (5) कथा श्रवण (6) स्मरण
(1) प्रार्थना: प्रातः आँख खुलने पर परमेश्वर का स्मरण करो, उनको धन्यवाद दो और उनकी प्रशंसा करो लेकिन यह बिलकुल ही कामना रहित हो। (श्रीमद्भगवतम् महा पुराण ७;१०:९)
(2) पूजा: स्नानादि से निवृत होकर एकांत में कामना रहित पूजा करो और उनके स्वरुप का मनन करो। कामना पूर्ण करवाने वाले लोग तो लेन  - देन  करने वाला बनिया हैं। (श्रीमद्भगवतम् महा पुराण ७ ;१०:१-४)
(3) स्तुति: परमेश्वर की स्तुति करो।  उनसे यह कहो कि हे नाथ !आपने हमको अपने पास बुलाया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ।
(4) कीर्तन: एकांत में बैठ कर ईश्वर के नाम का कीर्तन करो।
(5) कथा श्रवण: इसके लिए संत समागम करो।
(6) स्मरण: समस्त कर्मों को  एक मात्र परमेश्वर में अर्पण करो।  (गीता ९:२७-२८ , श्रीमद्भगवतम् महा पुराण १;५ :३२,३४)

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