धर्मशास्त्र के कुछ लेख कहते हैं कि परमेश्वर को कोई भी मनुष्य नहीं देख सकता है। धर्मशास्त्र, निर्गमन ३३:२० यह कहता है कि तुम मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता और धर्मशास्त्र, उत्पत्ति १७:१ यह कहता है कि परमेश्वर अब्राहम को दर्शन दिया। धर्मशास्त्र, निर्गमन २४:१० और ११ यह कहता है कि इज्राएलियों ने परमेश्वर का दर्शन किया। यह दोनों बातें किस प्रकार सत्य हो सकता है ?
इसका मतलब यह है कि अनगिनत और लाखों करोड़ों लोगों ने परमेश्वर को देखने की कोशिशें की किन्तु वे असफल रहे। धर्मशास्त्र, यूहन्ना ५:३७ ; १ तीमुथियुस ६:१६; १ पतरस १:८ और १ यूहन्ना ४:१२ यह कहता है कि किसी ने भी परमेश्वर का रूप नहीं देखा।
परमेश्वर के रूप को नहीं देखने के निम्नलिखित मुख्य दो कारण थे -
(१) परमेश्वर को केवल वही मनुष्य देख सकता है जिनको परमेश्वर अपना रूप देखने की अनुमति देते हैं। धर्मशास्त्र, कुलुस्सियों १:१५ और १ तीमुथियुस १:१७ यह कहता है कि परमेश्वर को देखा जा सकता है। God is invisible इसलिए हम लोगों को भ्रमित नहीं होना चाहिए कि परमेश्वर स्वर्ग में या अंतरिक्ष में ढूंढने पर नहीं मिल सकता या वह परमेश्वर ग्रहों और उपग्रहों पर ढूंढने से नहीं मिल सकता।मैं तो यह कहता हूँ कि जब हम जानते हैं कि हमारा शरीर परमेश्वर के रहने का घर है (धर्मशास्त्र, १ कुरिन्थयों ६:१९; २ कुरिन्थयों ६:१६) तो परमेश्वर को अपने शरीर में भी ढूंढने से मिल सकता है। लोगों की यह धरना गलत है कि "चुकि परमेश्वर अदृश्य हैं इसलिए मनुष्य उन्हें नहीं देख सकता।" यह सच है कि केवल वही मनुष्य परमेश्वर को देख सकते हैं जिन्हें परमेश्वर देखने की अनुमति देते हैं। इसलिए मूसा ने परमेश्वर से पूछा कि हे परमेश्वर मुझे देखने की अनुमति दो तो परमेश्वर ने जबाब दिया - नहीं।(धर्मशास्त्र, निर्गमन ३३:१८)
परमेश्वर के रूप को नहीं देखने के निम्नलिखित मुख्य दो कारण थे -
(१) परमेश्वर को केवल वही मनुष्य देख सकता है जिनको परमेश्वर अपना रूप देखने की अनुमति देते हैं। धर्मशास्त्र, कुलुस्सियों १:१५ और १ तीमुथियुस १:१७ यह कहता है कि परमेश्वर को देखा जा सकता है। God is invisible इसलिए हम लोगों को भ्रमित नहीं होना चाहिए कि परमेश्वर स्वर्ग में या अंतरिक्ष में ढूंढने पर नहीं मिल सकता या वह परमेश्वर ग्रहों और उपग्रहों पर ढूंढने से नहीं मिल सकता।मैं तो यह कहता हूँ कि जब हम जानते हैं कि हमारा शरीर परमेश्वर के रहने का घर है (धर्मशास्त्र, १ कुरिन्थयों ६:१९; २ कुरिन्थयों ६:१६) तो परमेश्वर को अपने शरीर में भी ढूंढने से मिल सकता है। लोगों की यह धरना गलत है कि "चुकि परमेश्वर अदृश्य हैं इसलिए मनुष्य उन्हें नहीं देख सकता।" यह सच है कि केवल वही मनुष्य परमेश्वर को देख सकते हैं जिन्हें परमेश्वर देखने की अनुमति देते हैं। इसलिए मूसा ने परमेश्वर से पूछा कि हे परमेश्वर मुझे देखने की अनुमति दो तो परमेश्वर ने जबाब दिया - नहीं।(धर्मशास्त्र, निर्गमन ३३:१८)
(२) परमेश्वर को मनुष्य नहीं देख सकता। यदि मनुष्य परमेश्वर को देखेगा तो वह जीवित नहीं रह सकता।
परमेश्वर ने धर्मशास्त्र, निर्गमन ३३:२० में यही जीवन का सार बताया।
धर्मशास्त्र, निर्गमन ३३:२१ के अनुसार मूसा परमेश्वर का चेहरा नहीं देख सकता परन्तु वह परमेश्वर के शरीर
के अन्य दूसरे अंग को देख सकता है। धर्मशास्त्र, निर्गमन ३३:२१-२३ में यह कहा गया है कि - "परमेश्वर ने
मूसा से कहा - सुन मेरे पास एक स्थान है, तू उस चट्टान पर खड़ा हो और जब तक मेरा तेज तेरे सामने होकर
चलता रहे तब तक मैं तुझे चट्टान के दरार में रखूँगा और जब तक मैं तेरे सामने होकर न निकल जाऊँ तब तक
अपने हाथ से तुझे ढांपे रहूँगा। फिर मैं अपना हाथ उठा लूंगा, तब तुम मेरे पीठ का दर्शन कर पाएगा, परन्तु
मेरे मुख का दर्शन नहीं मिलेगा । "
उपरोक्त भविष्वाणी यह बताता है कि मूसा को परमेश्वर के पीठ का दर्शन करने की अनुमति दी गई थी
परन्तु चेहरा को देखने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसलिए मूसा ने परमेश्वर को पूर्ण रूप से नहीं देखा
परन्तु चेहरा को देखने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसलिए मूसा ने परमेश्वर को पूर्ण रूप से नहीं देखा
क्योंकि परमेश्वर ने उसे पूर्ण रूप से देखने की अनुमति नहीं दी। लेकिन धर्मशास्त्र में यह वर्णन है कि
मनुष्यों ने परमेश्वर को देखा था। धर्मशास्त्र, उत्पत्ति ३२:२४-३० में यह कहा गया है कि याकूब ने परमेश्वर
को रु व रूह (Face to Face) देखा था। धर्मशास्त्र, व्यवस्थाविवरण ५:४ में यह कहा गया है कि मूसा
ने परमेश्वर को Mt. Sinai पर रु व रूह Face to Face देखा था इसका मतलब यह है कि मनुष्य और
परमेश्वर के बीच वार्तालाप हुआ था। "Face-to-face" is an expression indicating that
communication has taken place between man and God.
परमेश्वर के बीच वार्तालाप हुआ था। "Face-to-face" is an expression indicating that
communication has taken place between man and God.
निष्कर्षतः यह कहना गलत न होगा कि केवल वही मनुष्य परमेश्वर को आमना - सामना या रु व रूह या
Face to Face देखेंगे जिसके मन शुद्ध हैं। Blessed are the pure in heart, for they shall
see God. (धर्मशास्त्र, मत्ती ५:८ यह ) वास्तव में परमेश्वर को आमना - सामना या रु व रूह या
Face to Face देखने का केवल यही एक उपाय है - " मनुष्य अपने आप को पवित्र करे। " जिसके हृदय
में शुद्धता है केवल वही अपने पाप व गलतियों के लिए पश्चाताप करेंगे और पवित्र जीवन जीना चाहेंगे।
ऐसाही मनुष्य आध्यात्मिक रीती से पवित्र होंगे और भगवान कल्कि में विश्वास करेंगे और अपना जीवन
परमेश्वर को सौंप देंगे।
see God. (धर्मशास्त्र, मत्ती ५:८ यह ) वास्तव में परमेश्वर को आमना - सामना या रु व रूह या
में शुद्धता है केवल वही अपने पाप व गलतियों के लिए पश्चाताप करेंगे और पवित्र जीवन जीना चाहेंगे।
ऐसाही मनुष्य आध्यात्मिक रीती से पवित्र होंगे और भगवान कल्कि में विश्वास करेंगे और अपना जीवन
परमेश्वर को सौंप देंगे।
अब प्रश्न यह है कि क्या आप परमेश्वर को आमना - सामना या रु व रूह Face to Face देखने की तमन्ना
रखते हैं ?
रखते हैं ?
या रु व रूह देखने की तमन्ना रखते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए मेरा सुझाव यह है कि परमेश्वरको आमना-
सामना या रु व रूह देखने की आशा रखने वाले केवल विपत्तिकाल में ही परमेश्वर से मिलने की तमन्ना
न रखें बल्कि प्रत्येक दिन उनके साथ रहने की तमन्ना रखें। क्योंकि आप जानते हैं कि उनकी उपस्थिति
में खुशियों की भरपुरी है। परमेश्वर का चरण कमल ही केवल एक ऐसा स्थान है जहाँ आप अपना दुःख - दर्द
निर्भय होकर सुना सकते हैं और परमेश्वर आपको दुःख - दर्द से बहार निकालकर आनंद प्रदान कर सकते हैं।
पमेश्वर को हमेशा याद रखें और उनके आज्ञा के अनुसार चलें तो वह परमेश्वर आपके नजदीक आएंगे और
अपने सामर्थ्य से आपको दुखों से बहार निकल देंगे और आपको अनन्त जीवन देंगे ।