ईश्वर जीव पर कृपा करते हैं किन्तु अज्ञानी जीव उसका दुरूपयोग करते हैं। इसलिए वह दुष्ट बन जाता है। जब ईश्वर के ज्ञान को व्यवहारिक जीवन में अपना कर जब आप जिंदगी जिएंगे तब उसी वक्त आपको स्थिरता प्राप्त होगी, आपको शांति प्राप्त होगी और आपको आनन्द प्राप्त होगा।
ज्ञान जब तक शब्दात्मक है, तब तक शान्ति नहीं मिलेगी। जब वह ज्ञान क्रियात्मक होगा , जब वह ज्ञान सक्रिय होगा तभी शान्ति मिलेगी, तभी आनन्द मिलेगा, तभी वास्तविक सुख की प्राप्ति होगी । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह भगवान को प्राप्त कराने वाले भक्ति भाव के साधनों की क्रियात्मक शिक्षा ग्रहण करे।
इन्हीं साधनों से सर्वात्मा एवं भक्त को अपने आत्मा का दान करने वाले भगवान प्रसन्न होते हैं।
ऊँची - ऊँची बातों का सुनना काफी अच्छा लगता है किन्तु कुछ जमीनी बातें हैं जिसको व्यवहारिक जीवन में उतारना आवश्यक है। यह सच है कि परमेश्वर आपके जीवन को बदलना चाहते हैं, यह सच है कि परमेश्वर आपके जीवन के दुःख को मिटा कर खुशियाँ देना चाहते हैं, यह सच है कि परमेश्वर आपके उदासी को हटा कर आनन्द देना चाहते हैं। आपने परमेश्वर को नहीं चुना बल्कि परमेश्वर ने आपको चुना है ताकि आप बहुत फल लाओ। यह याद रखना कि आप डाली हो और ईश्वर दाखलता हैं । जब आप परमेश्वर से जुड़े रहोगे तब आप खुशहाल रहोगे और आप बहुत पहल लाओगे । यदि आप परमेश्वर से अलग हो जाओगे तब आप नष्ट हो जाओगे। जिस प्रकार डाल पेड़ से अलग रहकर फल नहीं लासकता बल्कि वह सुख जाता है। ठीक उसी प्रकार आप भी परमेश्वर से अलग रहकर कुछ भी नहीं कर सकते हो। बल्कि परमेश्वर से अलग होकर आप भी नष्ट हो जाओगे।
परमेश्वर आपके जीवन शैली को बदलना चाहते हैं, परमेश्वर आपके जीने के तौर - तरीकों को बदलना चाहते हैं ताकि आप बहुत फल लाओ। परमेश्वर आपको नया नाम देना चाहते हैं। वह नाम क्या है क्या आप जानते हैं ??? विलभेड ऑफ गॉड -विलभेड ऑफ गॉड - विलभेड ऑफ गॉड । परमेश्वर अपने प्रेमी भक्त से क्या चाहते हैं ? तुम न तो संसार से प्रेम रखो और न संसार में रहने वाली वस्तुअों से प्रेम रखो। क्योंकि जो कुछ संसार में है वह शरीर की अभिलाषा है, आँखों की अभिलाषा है और जीविका का घमण्ड है । यह सब परमेश्वर की ओर से नहीं बल्कि संसार की ओर से है। संसार और उसकी अभिलाषाएँ दोनों मिट जाएंगे परन्तु जो परमेश्वर की इच्छाओं पर चलेंगे वे सर्वदा बने रहेंगे। परमेश्वर और क्या चाहते हैं ? परमेश्वर आपको बुद्धि देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें बुद्धि दूंगा और जिस मार्ग से तुम्हें चलना होगा उसमें मैं तेरी अगुवाई करूँगा। मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूँगा और सम्मति दिया करूंगा। लेकिन सैतान यह चाहता है कि परमेश्वर का यह उपहार आपको न मिले। सैतान चाहता है कि आप दुःख से बाहर न निकलें। सैतान चाहता है कि आप परमेश्वर के मन के अनुकूल न चलें। अब फैसला आपको करना है कि आप किसके अनुकूल चलेंगे ? परमेश्वर के अनुकूल चलेंगे या सैतान के अनुकूल चलेंगे ।
इन्हीं साधनों से सर्वात्मा एवं भक्त को अपने आत्मा का दान करने वाले भगवान प्रसन्न होते हैं।
ऊँची - ऊँची बातों का सुनना काफी अच्छा लगता है किन्तु कुछ जमीनी बातें हैं जिसको व्यवहारिक जीवन में उतारना आवश्यक है। यह सच है कि परमेश्वर आपके जीवन को बदलना चाहते हैं, यह सच है कि परमेश्वर आपके जीवन के दुःख को मिटा कर खुशियाँ देना चाहते हैं, यह सच है कि परमेश्वर आपके उदासी को हटा कर आनन्द देना चाहते हैं। आपने परमेश्वर को नहीं चुना बल्कि परमेश्वर ने आपको चुना है ताकि आप बहुत फल लाओ। यह याद रखना कि आप डाली हो और ईश्वर दाखलता हैं । जब आप परमेश्वर से जुड़े रहोगे तब आप खुशहाल रहोगे और आप बहुत पहल लाओगे । यदि आप परमेश्वर से अलग हो जाओगे तब आप नष्ट हो जाओगे। जिस प्रकार डाल पेड़ से अलग रहकर फल नहीं लासकता बल्कि वह सुख जाता है। ठीक उसी प्रकार आप भी परमेश्वर से अलग रहकर कुछ भी नहीं कर सकते हो। बल्कि परमेश्वर से अलग होकर आप भी नष्ट हो जाओगे।
परमेश्वर आपके जीवन शैली को बदलना चाहते हैं, परमेश्वर आपके जीने के तौर - तरीकों को बदलना चाहते हैं ताकि आप बहुत फल लाओ। परमेश्वर आपको नया नाम देना चाहते हैं। वह नाम क्या है क्या आप जानते हैं ??? विलभेड ऑफ गॉड -विलभेड ऑफ गॉड - विलभेड ऑफ गॉड । परमेश्वर अपने प्रेमी भक्त से क्या चाहते हैं ? तुम न तो संसार से प्रेम रखो और न संसार में रहने वाली वस्तुअों से प्रेम रखो। क्योंकि जो कुछ संसार में है वह शरीर की अभिलाषा है, आँखों की अभिलाषा है और जीविका का घमण्ड है । यह सब परमेश्वर की ओर से नहीं बल्कि संसार की ओर से है। संसार और उसकी अभिलाषाएँ दोनों मिट जाएंगे परन्तु जो परमेश्वर की इच्छाओं पर चलेंगे वे सर्वदा बने रहेंगे। परमेश्वर और क्या चाहते हैं ? परमेश्वर आपको बुद्धि देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें बुद्धि दूंगा और जिस मार्ग से तुम्हें चलना होगा उसमें मैं तेरी अगुवाई करूँगा। मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूँगा और सम्मति दिया करूंगा। लेकिन सैतान यह चाहता है कि परमेश्वर का यह उपहार आपको न मिले। सैतान चाहता है कि आप दुःख से बाहर न निकलें। सैतान चाहता है कि आप परमेश्वर के मन के अनुकूल न चलें। अब फैसला आपको करना है कि आप किसके अनुकूल चलेंगे ? परमेश्वर के अनुकूल चलेंगे या सैतान के अनुकूल चलेंगे ।