ईश्वर बादलों के साथ धरती पर आ रहे हैं और प्रत्येक मनुष्य की आँख उनको देखेगा। ईश्वर ने देखा कि मनुष्य का हृदय बहुत कमजोर है और वह चिंता और दुख को जन्म देता है। वह शांति, सहनशक्ति और खुशी को खो दिया करता है। यही कारण है कि ईश्वर ने लोगों के लिए योजना बनाया और उनके साथ अनेक वादा किए । मनुष्य केवल अपने बीते हुए दिनों को जनता हैं। उसको न तो वर्तमान मालुम है और न भविष्य। यदि वह अपने जीवन के लिए कोई योजना बनाता है तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है। ईश्वर भूत भविष्य और वर्तमानं तीनों को जानते हैं। यदि ईश्वर आपके जीवन के लिए योजना बनाएंगे तो वह अवश्य ही आपसे अच्छा होगा और वह अवश्य ही सफल होगा। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की प्राथर्ना उस समय करनी चाहिए जिस समय ईश्वर आपकी प्राथर्ना को सुन सकें। क्या आप जानते हैं कि ईश्वर आपकी प्राथर्ना को किस समय सुनेंगे? ब्रह्म मुहूर्त में। अर्थात प्रातः ४ से ६ वजे के बीच में। ईश्वर ने कहा कि यदि तुम ऐसा करोगे तब मैं तुम्हें मार्गदर्शन करूंगा और उपदेश दूंगा कि तुमको किस दिशा व किस मार्ग में चलना होगा। मैं अपने नजरों से तुमको दिशा निर्देश किया करूंगा।जो प्यासे है उनके लिए मैं जल बरसाऊंगा और जो भूमी सुखी है वहाँ पर मैं जल की बाढ़ लाऊंगा। मैं लोगों और उनके बच्चों के ऊपर आशीष बरसाऊँगा। ईश्वर आपके आगे-आगे चलेंगे और आपके जीवन के ऊपर -निचे कठिन समयों और कठिन रास्तों व परेशानियों को मिटा देंगे। ईश्वर की ओर से आपको व्यवस्था दी जाएगी और ईश्वर अपना नियम देश के लोगों के लिए देंगे। ईश्वर वो हर काम आपके लिए करेंगे जो आपके लिए हितकारक और आवस्यक है। इसलिये आपको उताबली नहीं करना है और न भागते हुए चलना है। ईश्वर तुम्हारे आगे-आगे अगुवाई करते हुए चलेंगे और तुम्हारे पीछे से भी रक्षा करते हुए चलेंगे। ये वही ईश्वर हैं जो आपके पापों को माफ करेंगे और वीमारी तथा परेशानियों से छुटकारा दिलाएंगे। यह वही ईश्वर हैं जो आपको अधर्म से बचाएंगे और आपके प्राण को नाश होने से भी बचाएंगे और आपके सिर पर करुणा तथा दया का मुकुट बांधेंगे । लेकिन निम्नलिखित कारणों से आप ईश्वर के द्वारा निर्धारित वस्तुवों को प्राप्त नही कर पाते हैं:
(१) आप ईश्वर के इच्छा के विरुद्ध काम करते हैं।
(२) आप ईश्वर के बनाये हुए नियमों को तोरते हैं।
(३) आपको अपने ईश्वर पर पूर्ण विश्वास नहीं है और आप ईश्वर के बनाये गए योजना पर यकीन नहीं करते हैं।
(४) आपमें सामर्थ्य रहने के बाद भी जिनका भला करना चाहिए आप उनका भला नहीं करते हैं।
यही कारण है कि सही वक्त पर आप ईश्वर की कृपा को प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ईश्वर धरती पर नए नाम से आये हैं(kalki) जिनका उद्देश्य आपके पापों को माफ करना है। उस ईश्वर के शरण में अपने आपको समर्पित करने का यही वह सही वक्त है जो कल्कि नाम से धरती पर आचुके हैं।