How to change our fate ? (भाग्य कैसे बदलें ?)
आदिश्री अरुण
भाग्य कैसे बदलें ?
Some people say fate is like destiny, because we cannot change it. I say people who believe that they cannot change fate lack the knowledge and wisdom to understand what life and reality are ?
संसार
में दो तरह
के लोग होते
हैं - एक भाग्य
पर भरोसा करते
हैं और दूसरा
कर्म पर भरोसा
करते हैं । जो
भाग्य पर भरोसा
करने वाले लोग
हैं वे हर
परिणाम को भाग्य
का ही फल
मानते हैं ; और
जो कर्म पर
भरोसा करते हैं
वे हर परिणाम
को कर्म का
ही फल मानते
हैं । अब
प्रश्न यह उठता
है कि आप
भाग्य पर भरोसा
करते हैं या
कर्म पर ? यदि
आप भाग्य पर
भरोसा करते हैं
तो निम्नलिखित 9
बातों का ध्यान
रखिये -
(1) आप अपने
व्यक्तित्व को ऐसे
निखारें कि उस
पर कर्म का
प्रभाव न दिखे
। इसके लिए
एक शुद्ध और
गुड थॉट्स (Pure and Good thoughts) का होना
अनिवार्य है ।
यह 100 % सत्य है
कि शुद्ध और
गुड थॉट्स (Pure and Good thoughts) ही आपके
व्यक्तित्व को बहुत
अच्छी तरह से
निखार सकता है।
(2) कर्म थॉट्स (सोच) का
परिणाम है और
सोच के अनुसार
लोग कर्म करते
हैं तथा भाग्य
कर्म से ही
बनता है । आपके जैसे
सोच होंगे आप
वैसा ही काम
करेंगे और आप
जैसा काम करेंगे
वैसा ही आपके
भाग्य का निर्माण
होगा ।
(3) कर्म थॉट्स (सोच) का
परिणाम है और
सोच के अनुसार
जो लोग कर्म
करते हैं उनके
कर्मों का परिणाम
का अनुमान लगाया
जा सकता है।
(4) हर असफता
किसी पुरानी चूक
का परिणाम है।
(5) आपका भाग्य
किसी और ने
नहीं लिखा है
। आप अपने
भाग्य को खुद
ही चुने हो
। आप जो
खोज लेते हो
वही आपका भाग्य
है ।
(6) भाग्य
की पुरानी धारना
यह कहती है
कि "लिखा
हुआ है और
लिखे हुए को
कौन मिटा सकता
है ? " मैं कहता
हूँ कि ऐसा
भाग्य किसी और
ने नहीं बल्कि
आपने खुद लिखा
है जिसको कोई
मिटा नहीं सकता
है ।
(7) भाग्य रोज
- रोज लिखना पड़ता
है और यह
लिखने का काम
किसी और के
द्वारा सम्पन्न नहीं होता
है बल्कि
यह आपके ही
हाथों से लिखा
जाता है ।
यह हो सकता
है कि आप
इसको इतनी
बेहोसी में लिखते
हो कि अपने
ही हाथ पराये
मालुम होते हैं
। ये हो
सकता है कि
आप इसको इतनी
अचेतन अवस्था में
लिखते हो कि
स्वयं लिख जाते
हो तब भी
पता नहीं चलता
है कि कुछ
लिख गया ।
आप अपने
आपको रंगे हाथ पकड़
नहीं पाते हो
क्योंकि यह आपके
होस की कमी
है ।
(8) कोई और
आपका भाग्य नहीं
लिखता है । यदि
आपकी यह सोच
है कि आपका
भाग्य कोई और
लिखता है तो
आपका सोच व्यर्थ
और निराधार है
। यदि ऐसा
है तो फिर
आप क्या करोगे
? आप तो सिर्फ
एक मछली की तरह हो । किसी
ने आपको फेक
दिया मरुस्थल में
और आप तड़पो
मरुस्थल में। किसी
ने डाल दिया
जल के सरोवर
में तो ठीक
है फिर तो
आप दूसरे के
हाथ का खिलौना हो या
कठपुतली हो। फिर
तो आप मुक्त
होना भी चाहो
तो कैसे हो
सकोगे ? यदि मज़बूरी
में मुक्ति लेना
पड़े तो मुक्ति
परतंत्रता हो
गई ।
(9) मुक्ति कोई
स्थान नहीं, मुक्ति
कोई कारागार का
कोई स्थान नहीं,
चुनाव की क्षमता
में मुक्ति है ।
यदि चुनाव
की क्षमता न
हो और आदमी
केवल भाग्य के
हाथों का खिलौना
हो तो फिर
कोई मुक्ति नहीं
और यदि कोई
मुक्ति नहीं तो
धर्म का क्या
अर्थ है ? फिर
आपको यह कहने
का क्या अर्थ
होगा कि ऐसा
करो, पुण्य करो,
जागो । भाग्य
में जागना
होगा तो जागोगे
और न जागना
होगा तो नहीं
जागोगे । पुरानी
मान्यता ने आपको
एक बड़ी छूट
दी है ।
आप अपने आपको
ईश्वर के शरण
में समर्पित करके
स्वयं को बचा
लेते हो ।
करते
आप ही हो, होता
वही है जो
आप कर रहे
हो, आप तो
आप ही हो,
खेत भी आप
ही जोतते हो,
बीज भी आप
ही बोते हो
और फसल भी
आप ही काटते
हो लेकिन बीच
में ईश्वर को
ले आते हो
इस कारण आप
हल्के हो जाते
हो, आपने
हाथ में कुछ
न रहा, कोई
जिम्मेदारी न रहा,
पाप न रहा,
पुण्य न रहा
- ऐसे असहाय बनके
आप अपने आपको
ही दिखा देते
हो। मन के
पास बड़ी से
बड़ी तरकीब है
जिम्मेदारी को कहीं
और टाल देना यह
तरकीब इतनी अच्छी
है कि आस्तिक
भगवान पर टाल
देता है, नास्तिक
प्रकृति पर टाल
देता है, कोई ग्रह - नक्षत्र कि
दशा पर टाल
देता है, कोई वास्तु दोष पर टाल देता है तो कोई राजनीती पर टाल
देता है ।
तो
अब प्रश्न यह उठता है कि आप भाग्य कैसे बदलेंगे ? आदिश्री जी के पास क्या ऐसा दिव्य
युक्ति है जिसको अपनाने से आपका भाग्य 100 % बदल जायेगा। क्या है इसकी कोई ठोस गारण्टी ?
भाग्य
का स्रोत क्या
है ? थॉट्स (सोच)
सारे दिन आप
जो सुनते हैं,
जो देखते हैं,
जो पढ़ते हैं,
वही बनेगी आपकी
सोच ; जैसा आपके
थॉट्स (सोच) की
क्वालिटी होगी वैसा
ही होगा आपका
हरकत, वैसा ही
होगा आपका व्यवहार,
वैसा ही होगा
आपका झुकाव, वैसा
ही होगा आपका
कर्म और जैसा
होगा आपका कर्म वैसा
ही होगा आपका
भाग्य । तो
भाग्य कहाँ से
बना ? थॉट्स
(सोच) से ।
आप
अलग तरह का
भोजन करते हो
और मैं अलग
तरह का भोजन
करता हूँ ।
आप अलग तरह
का मूवी देखते
हैं और मैं
अलग तरह का
मूवी देखता हूँ
। आप मिठाई
पसन्द करते हैं
मैं फल पसन्द
करता हूँ ।
आप समोसे, स्प्रिंग
रोल, बर्गर पसन्द
करते हैं और
मैं टोमेटो सुप
पसन्द करता हूँ
। ऐसा क्यों
? यह थॉट्स (सोच)
का परिणाम है।
क्योंकि आप टेस्ट
को देखते हैं
और मैं स्वास्थ्य
को देखता हूँ
। ऐसा क्यों
? आपने लोगों से सुना कि
समोसे, स्प्रिंग रोल, बर्गर
इत्यादि का टेस्ट
काफी अच्छा होता
है। मैंने लोगों
से सुना कि फल
और टोमेटो सुप स्वास्थ्य के
लिए बहुत अच्छा
है तथा समोसे,
स्प्रिंग रोल, बर्गर
खाने से पेट
में गैस बनाता
है । तो
मेरे थॉट्स (सोच)
को किसने बदला
? सूचना ने ।
तो आपके तुलना
में मेरा स्वास्थ्य
कैसा होगा ? बहुत
अच्छा । तो
मेरा भाग्य किसने
बदला मेरा कर्म
ने और मेरे
कर्म को किसने
बदला ? मेरी थॉट्स (सोच) ने
। तो जैसा
सोच की क्वालिटी
होगी वैसा ही
आप कर्म करेंगे
और जैसा आप
कर्म करेंगे वैसा
ही आपका भाग्य
होगा । तो
आपके भाग्य बदलने
का स्रोत क्या
है ? इनफार्मेशन और
थॉट्स (सोच) ।
आप यदि बीस वर्षों
से टेंसन से
डिप्रेशन में पहुँच
गए तो उसका
बहुत बड़ा कारण
है इनफार्मेशन ।
याद
करो, हम लोगों
के स्टूडेंट लाइफ
में इनफार्मेशन का
क्या स्रोत था
? न्यूज पेपर, रेडियो और
सिनेमा ।
उन दिनों टी.वी, कंप्यूटर,
मोबाईल, वेव साईट,
ट्विटर , फेस बुक,
गूगल व्हाट्स-एप इत्यादि
नहीं थे ।
उन दिनों न्यूज पेपर पढ़
लिया, रेडियो सुन
लिया और
सिनेमा देख लिया
और जो इन्फर्मेशन
था उसको दिमाग
ने खा लिया
। जो कुछ
हमने पढ़ा, सुना,और
देखा वह हमारे
चित्त पर बैठ
गया और वही हमारे
चिंतन का हिस्सा
बन गया ।
आज
के समय में
न्यूज पेपर, रेडियो और सिनेमा के अलावा टी.वी, कंप्यूटर,
मोबाईल, वेव साईट,
ट्विटर , फेस बुक,
गूगल व्हाट्स-एप इत्यादि
और जो इन्फर्मेशन
है उसको आपके
दिमाग ने खा
लिया । और जो इनफार्मेशन आपके
दिमाग ने खा
लिया वही आपके
चित्त पर बैठ
गया है
और वही आपके चिंतन
का हिस्सा बन
गया है ।
तो
आपके थॉट्स (सोच)
और मेरे थॉट्स
(सोच) में इतना
अंतर क्यों है
? इनफार्मेशन के
स्रोत के क्वालिटी
के कारण ।
हमारे समय में
इनफार्मेशन के
स्रोत का क्वालिटी बहुत अच्छा था पर
आपके समय में
इनफार्मेशन के
स्रोत का क्वालिटी
अच्छा नहीं बल्कि बहुत खराब है। इसलिए
आप पिछले बीस
वर्षों से टेंसन
से डिप्रेशन में
पहुँच गए तो
उसका बहुत बड़ा
कारण क्या है
? इनफार्मेशन का क्वालिटी।
आज
प्रत्येक व्यक्ति के पास
मोबाईल, इंटरनेट वेव साईट और
व्हाट्स एप हैं
। काम के
अलावा आज जो
आपके बीच इनफार्मेशन
का सर्कुलेशन है
उसको पढ़ने, सुनने
या देखने के
बाद जो पसन्द
नहीं आता है,
जो लगता है
बेकार है उसको आप
डिलीट कर देते
हैं । कहाँ से
डिलीट कर देते
हैं ? मोबाईल से
डिलीट कर देते
हैं, दिमाग से
तो नहीं कर
सकते न । आपके दिमाग
ने जो इनफार्मेशन
खा लिया वह
तो आपके दिग
का हिस्सा बन
गया , वह तो आपकेसोच का हिस्सा बन गया ।
जारा
सोचो, कोई आदमी
किसी के बारे
में सोच कर
एक कार्टून बना
देता है, कोई
व्यक्ति किसी के
बारे में मजाक
लिख देता है,
कोई व्यक्ति किसी
के बारे में
निंदा लिख देता
है - वे एक
पांच को भेजता
है और वह
बहुत जल्दी पांच
से पांच लाख
लोगों तक पहुंच
जाता है और
लाख लोगों से
पांच करोड़ तक
पहुँच जाता है
। किसी एक
का नजरिया करोड़ों
का नजरिया बन
जाता है, किसी
एक का सोच
करोड़ों का सोच
बन जाता है
। कलियुग और
घोर कलियुग बन
जाता है ।
आप इनफार्मेशन को
केवल देखते या
सुनते ही नहीं
हैं बल्कि दूसरों को फॉरवार्ड भी
करते हैं जिससे
औरों का मन
भी दूषित हो
जाता है तो
वो आपका कर्मा
बन जाता है
।
अगर
यदि आप अपने
आपको मेंटली स्ट्रांग
बनाना चाहते हैं,
यदि आप अपने
आपको खुशाल बनाना
चाहते हैं तो आपको इस बात पर
ध्यान रखना पडेगा कि
आप क्या सुनते
हैं, क्या देखते
हैं और क्या
पढ़ते हैं ? आपको इस
बात पर भी
ध्यान रखना पड़ेगा
कि आपके गाने
कैसे हैं ? आपके
मूवी कैसे हैं
और आपके इंटरटेनमेंट
के नाम पर
प्रोग्राम कैसे हैं
? क्योंकि इनफार्मेशन थॉट्स
(सोच) क्रिएट्स का मुख्य स्रोत है ।
इनफार्मेशन ही थॉट्स
(सोच) का निर्माण
कराती है और
थॉट्स (सोच) के ही चलते लोग एक्शन अर्थात कर्म करते हैं और कर्म ही भाग्य
का निर्माण करती
है ।
यदि
आपको खुशहाल जीवन
चाहिए तो आपको
अपने माइण्ड के
डाइट को बदलना
पड़ेगा । मैं
तो कहूंगा कि कल्ह से नहीं अभी से आप
एक सप्ताह के
लिए उपवास शुरू
कर दो । शारीरिक
भोजन को बन्द
कर देने वाला
उपवास नहीं करना
है; मानसिक भोजन
को बन्द करने
वाला उपवास करना
है । कल्ह से नहीं अभी से इम्पोर्टेन्ट मैसेज
के आलावा दूसरा
कोई भी मैसेज
आता है तो
उसे बिना पढ़े
ही डिलीट कर
दो । इसी
प्रकार कोई भी
मैसेज फेस बुक
या व्हाट्स एप
पर आएगा तो
उसे बिना पढ़े
ही डिलीट कर
दो । यदि
आपने पढ़ कर
डिलीट किया तो
आपके दिमाग ने
गर्मागर्म समोसे खा लिया
। अगर यदि
आपके दिमाग ने
गर्मागर्म समोसे खा लिया
तो आपका उपवास
टूट गया ।
अगर यदि आपका
उपवास टूट गया
तो आपको उपवास
का फल नहीं
मिलेगा ।
कुछ
लोग बड़े प्यार
से कहते हैं
कि क्या करें
? मेरे ताऊ जी
ने मेसेज भेजा
है; पढ़ना तो
पड़ेगा ही ।
तबतो आपका उपवास
टूट गया और
आपको कुछ भी
नहीं मिलना है और न कभी आप अपने भाग्य को बदल पाएँगे ।