धन और व्यापार जिन्दगी जीने के लिए आवश्यक है किन्तु धन और व्यापार का स्थान ह्रदय में मत दो। ह्रदय तो एक मात्र परमेश्वर के रहने का स्थान है । जो मनुष्य परमेश्वर के रहने के स्थान में धन और व्यापार को रहने के लिए जगह देता है वह मूर्खों में महा मुर्ख है तथा अपने हाथ से अपना ही ह्त्या करने वाला व्यक्ति है - आदिश्री अरुण
जरा रुको और समझो
Kalki Avatar
0