महेश : आदि श्री अरुण जी के चरणों में कोटि - कोटि प्रणाम । मेरे जीवन में सुख के दिन बहुत कम हैं और दुःख एवं तूफानी संकट के दिन ज्यादा हैं । मैं दुःख एवं तूफानी संकट को देख कर घबड़ा चूका हूँ । सभी लोगों ने दुःख में मेरा साथ छोड़ दिया है । मैं एकदम अकेला हो गया हूँ । आदि श्री जी मैं यह जानना चाहता हूँ कि मेरे जीवन में कभी दुःख नहीं आए इसका कोई है उपाय ?
आदि श्री अरुण: प्रत्येक मनुष्य के जीवन में तूफान और कठिनाइयाँ आती है और वह निराश हो जाता है । वह सोचता है कि मैं अकेला हूँ परन्तु यह याद रखो कि तुम अकेला नहीं हो और परमेश्वर तुम्हें कभी नहीं छोड़ेंगे । जब तुम्हारे जीवन में तूफान और कठिनाइयां आती है तो कभी - कभी परमेश्वर शांत हो जाते हैं और उचित समय का इन्तजार करते हैं। परन्तु दूसरी ओर वे एक लंगर की तरह कार्य करते हैं ताकि तुम कठिनियाँ और दुःख के तूफान में डूब न जाओ । इस तूफानी दुःख के आलम में परमेश्वर अपने आपको तुम्हारे लिए आश्रय बन जाते हैं ताकि तुम दुःख के तूफान और कठिनियाँ में भी सुरक्षित रह सको। जो व्यक्ति जिस वस्तु के बाजार में जाता है उसको उस बाजार में वही वस्तु मिलता है । फल के बाजार में फल ही मिलता है, सब्जी के बाजार में सब्जयाँ मिलती है, अनाज के बाजार में अनाज मिलते हैं और हीरा के बाजार में हीरा मिलता है । संसार दुखों का बाजार है और इस बाजार में केवल दुःख और तकलीफ का सौदा ही मिला करता है । दुखों के बाजार में सुख का सौदा मुर्ख लोग खोजा करते हैं । तुम दुखों के बाजार में सुख का सौदा खोजते हो और जब सुख तुम्हें नहीं मिलता है तब तुम बेचैन हो जाते हो और जब हर कोई तुम्हारा साथ छोड़ देता है तब तुम कहते हो मैं अकेला हो गया हूँ । इसके बाबजूद भी परमेश्वर कहते हैं कि मैं तुम्हें अकेला नहीं छोडूंगा और मैं तुम्हें नहीं त्यागूंगा। तुम बलवान और साहसी बना रहो । तुम डरो मत । तुम्हारे जीवन में दुःख भी आएंगे, तुम्हारे जीवन में तूफान भी आएंगे, तुम परखे भी जाओगे । ऐसे घडी में तुम बेचैन हो जाओगे और कहोगे कि मेरे जीवन में दुःख नहीं आना चाहिए, मेरे जीवन में पड़ेशानी नहीं आना चाहिए और मेरे जीवन में TRILES नहीं आना चाहिए - यह कभी भी संभव नहीं है । अगर तुम केवल सुख चाहते हो तो तुम केवल भगवान के साम्राज्य की खोज करो, सुख तो तुम्हें अपने आप मिल जाएंगे । भगवान के साम्राज्य में पहुंचने का केवल एक मात्र उपाय है - सूरत शब्द योग । सूरत शब्द योग का अभ्यास करके तुम भगवान के साम्राज्य में पहुंच सकते हो और परम सुख को प्राप्त कर सकते हो ।
आदि श्री अरुण: प्रत्येक मनुष्य के जीवन में तूफान और कठिनाइयाँ आती है और वह निराश हो जाता है । वह सोचता है कि मैं अकेला हूँ परन्तु यह याद रखो कि तुम अकेला नहीं हो और परमेश्वर तुम्हें कभी नहीं छोड़ेंगे । जब तुम्हारे जीवन में तूफान और कठिनाइयां आती है तो कभी - कभी परमेश्वर शांत हो जाते हैं और उचित समय का इन्तजार करते हैं। परन्तु दूसरी ओर वे एक लंगर की तरह कार्य करते हैं ताकि तुम कठिनियाँ और दुःख के तूफान में डूब न जाओ । इस तूफानी दुःख के आलम में परमेश्वर अपने आपको तुम्हारे लिए आश्रय बन जाते हैं ताकि तुम दुःख के तूफान और कठिनियाँ में भी सुरक्षित रह सको। जो व्यक्ति जिस वस्तु के बाजार में जाता है उसको उस बाजार में वही वस्तु मिलता है । फल के बाजार में फल ही मिलता है, सब्जी के बाजार में सब्जयाँ मिलती है, अनाज के बाजार में अनाज मिलते हैं और हीरा के बाजार में हीरा मिलता है । संसार दुखों का बाजार है और इस बाजार में केवल दुःख और तकलीफ का सौदा ही मिला करता है । दुखों के बाजार में सुख का सौदा मुर्ख लोग खोजा करते हैं । तुम दुखों के बाजार में सुख का सौदा खोजते हो और जब सुख तुम्हें नहीं मिलता है तब तुम बेचैन हो जाते हो और जब हर कोई तुम्हारा साथ छोड़ देता है तब तुम कहते हो मैं अकेला हो गया हूँ । इसके बाबजूद भी परमेश्वर कहते हैं कि मैं तुम्हें अकेला नहीं छोडूंगा और मैं तुम्हें नहीं त्यागूंगा। तुम बलवान और साहसी बना रहो । तुम डरो मत । तुम्हारे जीवन में दुःख भी आएंगे, तुम्हारे जीवन में तूफान भी आएंगे, तुम परखे भी जाओगे । ऐसे घडी में तुम बेचैन हो जाओगे और कहोगे कि मेरे जीवन में दुःख नहीं आना चाहिए, मेरे जीवन में पड़ेशानी नहीं आना चाहिए और मेरे जीवन में TRILES नहीं आना चाहिए - यह कभी भी संभव नहीं है । अगर तुम केवल सुख चाहते हो तो तुम केवल भगवान के साम्राज्य की खोज करो, सुख तो तुम्हें अपने आप मिल जाएंगे । भगवान के साम्राज्य में पहुंचने का केवल एक मात्र उपाय है - सूरत शब्द योग । सूरत शब्द योग का अभ्यास करके तुम भगवान के साम्राज्य में पहुंच सकते हो और परम सुख को प्राप्त कर सकते हो ।