अमृता के प्रश्न और आदि श्री का जबाब



अमृता : आदि श्री के चरणों में प्रणाम स्वीकार हो।  आदि श्री जी जब से मैं जन्म ली तब से मैंने केवल दो ही चीज देखी हूँ - दुःख और बीमारी। सुख और शान्ति किसको कहते हैं मैंने कभी नहीं जाना। आदि श्री जी मैं यह जानना चाहती हूँ कि क्या भगवान के शरण में आने से सचमुच मैं दुःख एवं बीमारी से मुक्त हो जाऊँगी ?
आदि श्री जी : परमेश्वर वह गढ़ है जिसमें छिप कर लोग सभी दुखों से बच जाते हैं। परमेश्वर में समर्पण ही सभी दुखों से छुटकारा पाने का एक मात्र साधन है। 
परमेश्वर आज आपके सभी दुखों को मिटाने के लिए तैयार हैं। बैशाख मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी को परमेश्वर संभल ग्राम की भूमि पर कल्कि नाम से अवतार लेकर आचुके हैं। भगवान कल्कि  आपके सभी दुखों को मिटाने के लिए तैयार हैं। आज वे आपको सभी पड़ेशानियों से बाहर निकाल देने के लिए तैयार हैं आज वे  आपको सभी विमारियों से मुक्त कर देने के लिए तैयार हैं। परमेश्वर कहते हैं  कि क्या मेरे लिए कोई काम कठिन है ? (धर्मशास्त्र, यिर्मयाह 32:27) उन्होंने मनुष्यों को  विश्वास दिलाने के क्रम में कहा कि जवान सिंहों को तो घटी होती है और वे भूखे रह जाते हैं परन्तु परमेश्वर के खोजियों को किसी भी भली वास्तु की  घटी होगी। (धर्मशास्त्र, भजन संहिता 34:10) 
आज परमेश्वर आपके जीवन के पथरिली झाड़ी चट्टानों से भरी भूमि को हरा - भरा बनाने के लिए आये हैं। आज  परमेश्वर आपको दुःख,  पड़ेशानी एवं मृत्यु से बचाने के लिए आये हैं। यह सच है कि  परमेश्वर के लिए  तो कोई कर्तव्य है और उन्हें किसी चीजों को प्राप्त करने की जरुरत ही है। (गीता 3:22) जीवों पर कृपा करने के लिए ही परमेश्वर अपने आपको मनुष्य रूप में प्रकट करते हैं और ऐसी लीलाएँ करते हैं जिन्हें सुनकर जी भगवत्प्रायण हो जाता है। परमेश्वर के अवतार लेने की दिव्यता को जानने  से मनुष्य की परमेश्वर में भक्ति हो जाती है। 
परमेश्वर के हजारों आँखें हैं।  परमेश्वर के हजारों कान हैं। वे आपके प्रत्येक दुःख - दर्द और प्रत्येक पड़ेशानियों को जानते हैं। उनसे कोई भी चीज छिपी नहीं है। वे बहुत ही सामर्थ्यवान हैं। वे बहुत ही शक्तिशाली हैं।वे आपके दुःखों को आनंद में बदल सकते हैं। वे आपके पड़ेशानियों को आनंद में बदल सकते हैं। वे आपके आँशुओं को आशीष की बरसात में बदल सकते हैं। जब किसी ने भी उनको पुकारा उन्होंने उनकी सुन ली। (धर्मशास्त्र, भजन संहिता 22:24)  आप भी जब उनको पुकारोगे तो वे आपकी भी अवश्य ही सुनेंगे।   



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